Hindi, asked by shubham95162, 1 year ago

aaj ki Nari essay short

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Answered by vikram991
107
here is your answer...

प्राचीन काल में भारतीय नारी को विशिष्ट सम्मान व पूज्यनीय दृष्टि से देखा जाता था । सीता, सती-सावित्री, अनसूया, गायत्री आदि अगणित भारतीय नारियों ने अपना विशिष्ट स्थान सिद्‌ध किया है । तत्कालीन समाज में किसी भी विशिष्ट कार्य के संपादन मैं नारी की उपस्थिति महत्वपूर्ण समझी जाती थी ।

कालांतर में देश पर हुए अनेक आक्रमणों के पश्चात् भारतीय नारी की दशा में भी परिवर्तन आने लगे । नारी की स्वयं की विशिष्टता एवं उसका समाज में स्थान हीन होता चला गया । अंग्रेजी शासनकाल के आते-आते भारतीय नारी की दशा अत्यंत चिंतनीय हो गई । उसे अबला की संज्ञा दी जाने लगी तथा दिन-प्रतिदिन उसे उपेक्षा एवं तिरस्कार का सामना करना पड़ा ।

राष्ट्रकवि ‘मैथिली शरण गुप्त’ ने अपने काल में बड़े ही संवेदनशील भावों से नारी की स्थिति को व्यक्त किया है:

”अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी ।

आँचल में है दूध और आँखों में पानी ।”

विदेशी आक्रमणों व उनके अत्याचारों के अतिरिक्त भारतीय समाज में आई सामाजिक कुरीतियाँ, व्यभिचार तथा हमारी परंपरागत रूढ़िवादिता ने भी भारतीय नारी को दीन-हीन कमजोर बनाने में अहम भूमिका अदा की ।

नारी के अधिकारों का हनन करते हुए उसे पुरुष का आश्रित बना दिया गया । दहेज, बाल-विवाह व सती प्रथा आदि इन्हीं कुरीतियों की देन है । पुरुष ने स्वयं का वर्चस्व बनाए रखने के लिए ग्रंथों व व्याख्यानों के माध्यम से नारी को अनुगामिनी घोषित कर दिया ।

अंग्रेजी शासनकाल में भी रानी लक्ष्मीबाई, चाँद बीबी आदि नारियाँ अपवाद ही थीं जिन्होंने अपनी सभी परंपराओं आदि से ऊपर उठ कर इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी । स्वतंत्रता संग्राम में भी भारतीय नारियों के योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती है ।

आज का युग परिवर्तन का युग है । भारतीय नारी की दशा में भी अभूतपूर्व परिवर्तन देखा जा सकता है । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् अनेक समाज सुधारकों समाजसेवियों तथा हमारी सरकारों ने नारी उत्थान की ओर विशेष ध्यान दिया है तथा समाज व राष्ट्र के सभी वर्गों में इसकी महत्ता को प्रकट करने का प्रयास किया है ।

फलत: आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है । विज्ञान व तकनीकी सहित लगभग सभी क्षेत्रों में उसने अपनी उपयोगिता सिद्‌ध की है । उसने समाज व राष्ट्र को यह सिद्‌ध कर दिखाया है कि शक्ति अथवा क्षमता की दृष्टि से वह पुरुषों से किसी भी भाँति कम नहीं है ।

निस्संदेह नारी की वर्तमान दशा में निरंतर सुधार राष्ट्र की प्रगति का मापदंड है । वह दिन दूर नहीं जब नर-नारी, सभी के सम्मिलित प्रयास फलीभूत होंगे और हमारा देश विश्व के अन्य अग्रणी देशों में से एक होगा ।

PrincessNumera: Fantabulous
Anonymous: awesome ☺️
BloomingBud: No words
BloomingBud: :-)
BloomingBud: Wow!!!!!
Answered by chandresh126
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उत्तर :

प्राचीन भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर थी, लेकिन अधेड़ उम्र में यह बिगड़ गई। महिलाओं के खिलाफ विभिन्न बीमारियां अस्तित्व में आईं, जिन्होंने महिलाओं की स्थिति को खराब किया। भारतीय समाज पुरुष प्रधान समाज बन गया और महिलाओं को पुरुष का दास माना जाने लगा। धीरे-धीरे वे समाज में कमजोर सेक्स बन गए क्योंकि पुरुष महिलाओं को अपने अंगूठे के नीचे रखते थे। उन्हें घर की चार दीवारों के नीचे रहने वाले गूंगे मवेशियों के रूप में नेत्रहीन पुरुषों का पालन करने के लिए मजबूर किया गया था। देश में किसी स्थान पर, महिलाओं को समाज में तेजी से बदलाव के बाद भी पुरुषों द्वारा बीमार किया जाता है।

समाज की सभी पुरानी संस्कृतियों, परंपराओं और प्रतिबंधों के बाद महिलाओं को घर की जीवित चीजों के रूप में माना जाता है। पहले परिवार के बुजुर्ग घर में एक महिला बच्चे के जन्म पर खुश नहीं थे, लेकिन अगर बच्चा पुरुष था तो वे डबल खुश हो गए। वे समझ गए थे कि पुरुष बच्चा पैसे का स्रोत होगा जबकि महिला बच्चा पैसे का उपभोक्ता होगा। बेटी का जन्म परिवार के लिए अभिशाप माना जाता था। भारतीय समाज में धीरे-धीरे होने वाले सकारात्मक बदलाव महिलाओं की स्थिति के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं। लोगों की सकारात्मक सोच ने तेजी से गति पकड़ी है जिसने मानव मन को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से महिलाओं के प्रति बदल दिया है।

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