आजु हरि अद्भुत रास उपायो।
एकहि सुर सब मोहित कीन्हे, मुरली नाद सुनायौ।।
अचल चले, थकित भए, सब मुनिजन ध्यान भुलायो।
चंचल पवन थक्यौ नहिं डोलत, जमुना उलटि बहायो।।
थकित भयौ चंद्रमा सहित-मृग, सुधा-समुद्र बढ़ायौ।
सूर स्याम गोपिनि सुखदायक, लायक दरस दिखायौ।।8।। iska hindi mai art
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