आज का गृहकार्य
लोबचुक एक छोटा बालक था। वह हर समय खेलता रहता था। उसकी माँ बहुत कोशिश करती थी कि वह थोडा पढ-लिख ले लेकिन वह नहीं मानता था। एक दिन ............
इस लघुकथा को पूरा कीजिए।
Answers
Answer:
हम सब के जीवन में कभी न कभी ऐसा वक्त ज़रूर आता है जब कोई बात हमें बहुत प्रभावित करती है। उसके बारे में हम बहुत सोचते हैं और सोचना अच्छा भी लगता है। इसकी वजह यह होती है कि वह किसी न किसी रूप में हमारे जीवन के किसी पक्ष से जुड़ा होता है। राजीव के जीवन में भी एक दिन ऐसा ही हुआ। 8 साल का राजीव जब आज सुबह स्कूल गया तो उसके कक्षाध्यापक ने कक्षा के सारे बच्चों को एक गृहकार्य दिया। गृहकार्य था ‘आपके जीवन का लक्ष्य’ सभी छात्रों को यह गृहकार्य कल पूरा कर कर लाना था। शिक्षक ने गृहकार्य के विषय में सारे छात्रों को विस्तार से बताते हुए कहा कि हम सब इस दुनिया में आए हैं और अपनी भूमिका अदा करके इस दुनिया से रुखसत हो जाएँगे। हमारे साथ किसी भी प्रकार की भौतिक चीज़ें नहीं जाती हैं। जाती है तो सिर्फ़ हमारे कर्मों और संस्कारों की चिठ्टी जिसकी एक कॉपी हमें इसी धरतीलोक पर भी छोड़नी पड़ती है। जन्म लाभ करने से लेकर काल के गाल में समाने तक हम सभी को अपने जीवन निर्वाह के लिए कुछ न कुछ करना होता है। उसे हम पेशा या ओक्कुपेशन कहते हैं। आपलोग कौन-सा पेशा या ओक्कुपेशन अपनाना चाहते हैं और क्यों? इसके बारे में आपको लिख कर लाना है। यह सुनकर न जाने राजीव को क्या हो गया, वह मंद-मंद मुस्कराने लगा। उसकी मुस्कराहट में एक जिज्ञासा झलक रही थी। उसकी मुखमुद्रा देखकर ऐसा लग रहा था मानो उसे अभी तक के अपने जीवन का सबसे अच्छा होमवर्क मिला हो। स्कूल समाप्त होने के बाद वह सहर्ष अपने घर चला आया। उसके दिमाग में केवल एक ही बात चल रही थी कि उसके जीवन का लक्ष्य क्या होना चाहिए? मासूम और अबोध राजीव को यह पता ही नहीं था कि दुनिया उन लोगों से भरी पड़ी है जिन्होंने कई मंसूबे बनाए और आधा या बिना शुरूआत किए ही अपने लक्ष्य से विमुख हो गए। अगर सही मार्गदर्शन न मिले तो ऐसे उदाहरणों का नकारात्मक असर देर-सबेर उन पर भी पड़ने लगता है जिनको अपने लक्ष्य की प्राप्ति में काफी दिक्कतें आ रही होती हैं। दूसरी तरफ़ राजीव का इन बातों से अंजान होना ही सही साबित हो रहा था।