Hindi, asked by kapil9044, 1 year ago

आज के युग में युवाओं में तकनीकी उपकरणों के प्रति बढ़ते रूझान के दुष्परिणाम व सुपरिणाम​

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Answered by shishir303
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    तकनीकी उपकरणों का युवाओं पर सुपरिणाम और दुष्परिणाम

आज के युग में युवाओं में तकनीकी उपकरणों के प्रति बढ़ते रुझान के सुपरिणाम और दुष्परिणाम दोनों सामने आ रहे हैं। आईफोन, एड्रॉयड फोन, आईपैड, आईपॉड, स्मार्ट वॉच, वर्चुअल रियलिटी. पीएस-4 आदि तमाम ऐसे गैजेट्स हैं जो युवाओं के जीवन के अभिन्न अंग बन गए हैं। आज का कोई भी आधुनिक युवा ऐसा नहीं है जो इन उपकरणों में कम से कम से कम किसी एक उपकरण से लैस ना हो। इन यंत्रों के माध्यम से युवा इंटरनेट आदि से जुड़ा रहता है, सोशल मीडिया से जुड़ा रहता है।

इसके सुपरिणामों पर हम गौर करें तो युवाओं के लिए ज्ञान का खजाना गूगल आदि के माध्यम से खुला पड़ा है। सिर्फ एक क्लिक करने पर सारी जानकारी पल भर में चंद सेकंडों में सामने आ जाती है। सोशल मीडिया के माध्यम से या अन्य मैसेंजर एप आदि के माध्यम से युवा लोग अपने संगी साथियों, दोस्तों से जुड़े रहते हैं और अपनी पढ़ाी के विषयों पर एक दूसरे से मीलों दूर बैठे रहते हुए भी चैट आदि करके अपनी समस्याओं का निराकरण करते रहते हैं। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से युवा घर बैठे ही बहुत कुछ सीख जातें हैं। यह तकनीकी उपकरणों के सुपरिणाम हैं।

परंतु इसके दुष्परिणाम भी हैं, अब युवा दिन भर इन्हीं गैजेट्स से चिपके रहते हैं, जिसके कारण उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ता है। दिन भर कंप्यूटर, मोबाइल या अन्य गैजेट्स पर काम करते रहने के कारण गर्दन, पीठ या कमर दर्द आदि की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। आंखों की समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। सिरदर्द, चिड़चिड़ापन आदि शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। युवा लोग गैजेट्स में इतने मगन हो जाते हैं कि हर समय इन्हीं में खोये रहते हैं और उनकी शारीरिक गतिविधियां और अन्य सामाजिक गतिविधियां कम हो जाती है। उनमें अन्तर्मुखी होने की प्रवृत्ति उत्पन्न होने लगती है और वे अपने आप में सिमट कर रह जाते हैं। इस सब बातों का उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर विपरीत असर पड़ता है। मोबाइल या अन्य किसी गैजेट्स के माध्यम से युवा गेम आदि खेलते रहते हैं और उन्हें इसकी लत लग जाती है। अनेक गेम ऐसे होतें हैं जो हिंसा से भरे होते हैं जिसके कारण युवाओं में हिंसक प्रवृत्ति जन्म लेने लगती है। कुछ युवाओं को पोर्न साइटों पर विजिट करने की लत लगती जाती है। ये सब गलत प्रवृत्तियां युवाओं के चारित्रिक पतन का कारण बनती हैं और उनके भविष्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है।

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