आजादी के लिए हमारे ठोस लोगों की स्वतंत्रता strugggle के बारे में लिखें।
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■ स्वतंत्रता शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है । जिनमे पहला शब्द "स्व" जिसका अर्थ = अपना , और दूसरा शब्द "तंत्रता" है , जो अरबी भाषा का तत्सम व बिगड़ा हुआ रूप है , जिसका अर्थ = आजादी से होता है । ■
■ ■ स्वतंत्रता सबको प्यारी होतीं है । प्रत्येक व्यक्ति , जीवधारी स्वतंत्र रहना चाहता है । हम जिस व्यक्ति के जीवन मे स्वतंत्रता देखते हैं , उसका चरित्र कुछ भिन्न होता है एक गुलामी की जिंदगी से । ■ ■
■ ■ ■ स्वतंत्रता के उदाहरण के लिये हम अपने देश भारत को ही लेले , जो कई वर्षों तक अंग्रेजों , डचों, यूनानियों , फ़्राँसीसियों आदि का गुलाम रहा है । जब तक विश्वगुरु कहलाने वाले भारतवर्ष ने गुलामी का जीवन व्यतीत किया , तब तक सम्पूर्ण विश्व के सामने भारत केवल एक गुलाम देश था ,
लेकिन
■ ■ ■ ■ 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतवर्ष प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ , और होता चला गया , और होता गया , और होता गया और वर्तमान समय मे भारत पुनः सम्पूर्ण विश्व समुदाय के सामने हमारा भारतवर्ष अपने मे एक ●● गौरव ●● लिए खड़ा है । और यह निरंतर प्रगतिशील है और आने वाले कुछ समय पश्चात यह पुनः विश्वगुरु के पद पर आसीन होगा । ■ ■ ■ ■
■ ■ ■ ■ ■ स्वतंत्रता एक सहज अधिकार है जो मनुष्यों के जन्म के बाद से है। स्वतंत्रता ऐसा कुछ नहीं है जिसे छुआ, देखा, महसूस किया जा सके या पहुंचा जा सके। यह सब स्वतंत्रता के बारे में एक अस्पष्ट विचार देता है। आजादी का क्या अर्थ है?
आजादी के विचार के बारे में अलग-अलग लोगों की राय, परिभाषा और विचार हैं। राजनीतिक भावना में आजादी के बारे में कुछ बात, सामाजिक आजादी के बारे में कुछ बात, व्यक्तिगत आजादी के बारे में कुछ और कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित करते हैं। लेकिन तथ्य यह है कि हर कोई स्वतंत्र होना चाहता है, सभी मामलों में सच है। ■ ■ ■ ■ ■
■ ■ ■ ■ ■ ■ परंतु आजकल के कुछ युवा आजादी का गलत अर्थ निकालते हैं उनका मानना है कि जब 1947 में आजादी प्राप्त कर चुके हैं , तो उन्हें भारत के संविधान का अनुसरण क्यों करना पड़ रहा है , ?
जो कि बहुत गलत बात है हम आजाद भले हुए हैं परंतु हम भी भारत के संविधान के दायरे में आते हैं , क्योंकि हम भारत के निवासी हैं । हम भारतवासी हैं ।
इसीलिए हम आजाद हैं परंतु वहीं तक जहां तक हम किसी की शांति भंग नहीं करते । यदि हम किसी अन्य व्यक्ति की शांति भंग करते हैं तो हमारी स्वतंत्रता वही भंग हो जाती है ।
■ ■ ■ ■ ■ ■
■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ किसी लेखक ने बहुत ही सुंदर लेख में कहा है कि 【 आप की स्वतंत्रता दूसरे व्यक्ति की नाक तक ही सीमित है 】
इसका भी वही तात्पर्य है कि आप की स्वतंत्रता वहीं तक सीमित है जहां तक दूसरे व्यक्ति का क्षेत्र प्रारंभ होता है । क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की नाक उसके शरीर का सबसे लंबा ऐसा होता है । और जब भी आप उस व्यक्ति के नाता पहुंचते हैं या फिर उसकी सुंदरता में दाखिल देते हैं । या दाखिल होते हैं , तो वह आपके ऊपर आपकी सफलता बंद कर सकता है। ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■
**** उपसंहार **** >>>>>
■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ अंत में मैं यह कह सकता हूं कि प्रत्येक जीवधारी चाहे वह मनुष्य या जॉब पाए हो या पक्षियों या पशु हो जिस में भी प्राण है वह जीवित है स्वतंत्रता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है और उसके लिए वह स्वतंत्र है। ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■
••••••• Thanks for question •••••••
I really like your your question and so sorry for my mistakes in my answer .
☺☺☺☺### A^-^ Destroyer ### ☺☺☺
■ ■ स्वतंत्रता सबको प्यारी होतीं है । प्रत्येक व्यक्ति , जीवधारी स्वतंत्र रहना चाहता है । हम जिस व्यक्ति के जीवन मे स्वतंत्रता देखते हैं , उसका चरित्र कुछ भिन्न होता है एक गुलामी की जिंदगी से । ■ ■
■ ■ ■ स्वतंत्रता के उदाहरण के लिये हम अपने देश भारत को ही लेले , जो कई वर्षों तक अंग्रेजों , डचों, यूनानियों , फ़्राँसीसियों आदि का गुलाम रहा है । जब तक विश्वगुरु कहलाने वाले भारतवर्ष ने गुलामी का जीवन व्यतीत किया , तब तक सम्पूर्ण विश्व के सामने भारत केवल एक गुलाम देश था ,
लेकिन
■ ■ ■ ■ 1947 को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारतवर्ष प्रगति के पथ पर अग्रसर हुआ , और होता चला गया , और होता गया , और होता गया और वर्तमान समय मे भारत पुनः सम्पूर्ण विश्व समुदाय के सामने हमारा भारतवर्ष अपने मे एक ●● गौरव ●● लिए खड़ा है । और यह निरंतर प्रगतिशील है और आने वाले कुछ समय पश्चात यह पुनः विश्वगुरु के पद पर आसीन होगा । ■ ■ ■ ■
■ ■ ■ ■ ■ स्वतंत्रता एक सहज अधिकार है जो मनुष्यों के जन्म के बाद से है। स्वतंत्रता ऐसा कुछ नहीं है जिसे छुआ, देखा, महसूस किया जा सके या पहुंचा जा सके। यह सब स्वतंत्रता के बारे में एक अस्पष्ट विचार देता है। आजादी का क्या अर्थ है?
आजादी के विचार के बारे में अलग-अलग लोगों की राय, परिभाषा और विचार हैं। राजनीतिक भावना में आजादी के बारे में कुछ बात, सामाजिक आजादी के बारे में कुछ बात, व्यक्तिगत आजादी के बारे में कुछ और कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित करते हैं। लेकिन तथ्य यह है कि हर कोई स्वतंत्र होना चाहता है, सभी मामलों में सच है। ■ ■ ■ ■ ■
■ ■ ■ ■ ■ ■ परंतु आजकल के कुछ युवा आजादी का गलत अर्थ निकालते हैं उनका मानना है कि जब 1947 में आजादी प्राप्त कर चुके हैं , तो उन्हें भारत के संविधान का अनुसरण क्यों करना पड़ रहा है , ?
जो कि बहुत गलत बात है हम आजाद भले हुए हैं परंतु हम भी भारत के संविधान के दायरे में आते हैं , क्योंकि हम भारत के निवासी हैं । हम भारतवासी हैं ।
इसीलिए हम आजाद हैं परंतु वहीं तक जहां तक हम किसी की शांति भंग नहीं करते । यदि हम किसी अन्य व्यक्ति की शांति भंग करते हैं तो हमारी स्वतंत्रता वही भंग हो जाती है ।
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■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ किसी लेखक ने बहुत ही सुंदर लेख में कहा है कि 【 आप की स्वतंत्रता दूसरे व्यक्ति की नाक तक ही सीमित है 】
इसका भी वही तात्पर्य है कि आप की स्वतंत्रता वहीं तक सीमित है जहां तक दूसरे व्यक्ति का क्षेत्र प्रारंभ होता है । क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति की नाक उसके शरीर का सबसे लंबा ऐसा होता है । और जब भी आप उस व्यक्ति के नाता पहुंचते हैं या फिर उसकी सुंदरता में दाखिल देते हैं । या दाखिल होते हैं , तो वह आपके ऊपर आपकी सफलता बंद कर सकता है। ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■
**** उपसंहार **** >>>>>
■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ अंत में मैं यह कह सकता हूं कि प्रत्येक जीवधारी चाहे वह मनुष्य या जॉब पाए हो या पक्षियों या पशु हो जिस में भी प्राण है वह जीवित है स्वतंत्रता उसका जन्मसिद्ध अधिकार है और उसके लिए वह स्वतंत्र है। ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■ ■
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