Hindi, asked by gurpreetnagpal76, 1 year ago

aajkal bacche mata pita ke prati uchit samaan kyu nahi karte aur santaan ka kya kartavya hai mata pita ke prati

Answers

Answered by rishilaugh
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Aajkal ke baachein sammaan isliye nahi karte kyoki veh sirf apne baare me sochte hai . Aaj unke mata pita unke liye kuch bhi karde ve fir bhi unko vo samman nhi denge jinke vo hakdaar hai.Aaj ke baachen apne sanskaar kahin bhoolte jaa rahe hai. Ab samay hai bacchon ke samajhne ka . ye zaroori ho gya hai ki bacchein apni zimmedari samjhe na ki apne mata pita par hukum chalaye. Unhe unke prati vo saare kartavya pure karne chahiye jinko pura karne ka unka farz hai. To ab samay hai ki baachen bhi apni zimmedari ko samajhte hue apne mata pita ka aadar kare aur unko har khushi de.
Answered by rachanavyas
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आजकल बच्चे माता-पिता के प्रति उचित सम्मान क्यों नहीं करते | Aaj kal bacchay mata-pita ka uchit samaan kyun nahi kartay | Why  in today's world children's do not respect there parents ?

वर्तमान युग को भौतिकतावादी युग की संज्ञा दी जा सकती है| भारतीय संस्कृति में चार पुरुषार्थ- धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष बताये गये हैं| आज ज्यादातर व्यक्तियों का ध्येय अर्थ का अर्जन करना रह गया है| जीवन मूल्य गौण हो रहे हैं| उसका स्पष्ट प्रभाव नवीन पीढ़ी पर देखा जा सकता है| आजकल की आम समस्या है कि बच्चे माता-पिता का सम्मान नहीं करते| इसका विश्लेषण करें तो कई कारण समक्ष आते हैं जैसे सर्वप्रथम संयुक्त परिवारों का विघटन| आजकल एकाकी परिवार होते है| माँ-पिता दोनों अर्थ अर्जन के लिए बाहर ही रहते है| बच्चों को समय नहीं दे पाते| पहले दादा-दादी बच्चो में अपनी संस्कृति के बीज डालते थे| आजकल बच्चे नौकरों के भरोसे रहते है| उनमें स्नेह और कृतज्ञता के भाव जन्म ही नहीं ले पाते| द्वितीयत: पाश्चात्य संस्कृति का अन्धानुकरण| टी वी इंटरनेट पर जो रात-दिन दृश्य बच्चे देखेंगे वैसा ही आचरण करेंगे| धारावाहिकों, फिल्मों में हिंसा के दृश्य, फैशन का अनुकरण जैसी चीजें देखकर बच्चे उन्हें ही अपना आदर्श मान लेते है| जब हम जीवन में आदर्श ही गलत चुनेंगे तो हमारे हमारे कर्म सात्विक कैसे हो सकते हैं| अगला कारण है बच्चों में उचित मार्गदर्शन का अभाव| वो विद्यालय में अपने सीनियर्स की नकल करके नशा करना, स्कूल से भागना, शिक्षकों का सम्मान न करना जैसे कार्य करते हैं और उन्हें घर पर उचित मार्गदर्शन नहीं मिलता अत: ये आदतें स्थायी बन जाती है| उनके लिए फिर माँ=पिता का असम्मान करना बहुत साधारण बात बन जाती है| अत: संक्षेप में ये कहना उचित होगा कि मस्तिष्क एक कंप्यूटर है जिसमें जो इनपुट होगा वही आउटपुट होगा अत: माता-पिता से अपेक्षित है कि वे बच्चों में अच्छे संस्कार व व्यवहार की आदत डाले|  और बाल मन तो वैसे भी कच्ची मिटटी है जिसे चाहे जैसा आकार दिया जा सकता है| इसलिए माता-पिता को प्रथम पाठशाला कहा गया है|

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