Hindi, asked by bhartbhai, 1 year ago

Aajnu Bharat tako ane padkaro thi bharpoor che; ae shu chhe ane aagami das varsh daramyaan aap Nava bharatna nirman mate kai rite yogdaan aapi shako cho?

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Answered by Geekydude121
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75वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा आयोजित की गई, जिसमें तमाम दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया। चर्चा में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण, भ्रष्टाचार को देश के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती करार दिया और कहा कि 2017 से 2022 तक पांच वर्ष की अवधि के दौरान संकल्प से सिद्धि के भाव के साथ कार्य करें।


पीएम ने कहा कि 1942 में करो या मरो के नारे ने पूरे देश को प्रेरित किया, उसी प्रकार से ‘हम करेंगे और करके रहेंगे’ का संकल्प लें।
चर्चा में तमाम सांसदों ने हिस्सा लिया और भारत की आजादी में आंदोलन की भूमिका पर चर्चा की। राज्य सभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन देश की आजादी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण आंदोलन था। उन्होंने कहा कि 75 साल में देश के सामने कई चुनौतियां आईं लेकिन भारत और मजबूत होता गया।


बाकी दलों के नेताओं ने भी आंदोलन की महत्ता पर प्रकाश डाला और देश के सामने आई चुनौतियों पर बात की। दोनों सदनों में चर्चा के अंत में एक प्रस्ताव पारित किया गया और 2022 तक महात्मा गांधी और स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने का संकल्प लिया गया।
कुल मिलाकर देश ने इस बड़े अवसर पर सशक्त, समृद्ध, स्वच्छ और वैभवशाली भारत के निर्माण का संकल्प लिया है और देश 2022 तक नए भारत के लिए प्रतिबद्ध है।
Answered by mchatterjee
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वर्तमान युग विज्ञान और अर्थ का युग है । भारत के लिए वैज्ञानिक तथा आर्थिक उन्नति परमावश्यक है । किसी विद्वान् का यह कथन सत्य है कि भारत धनी देश है, जहाँ गरीब रहते हैं । इसका अर्थ है कि यहाँ प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है, मगर उन साधनों का उपयोग नहीं हो पाया है । इनका समुचित उपयोग करने पर भारतवासी संपन्न हो सकते हैं ।

स्वतंत्र भारत में उक्त साधनों के उपयोग का कार्य प्रारंभ हो गया है, जिसकी अंतिम सफलता विद्यार्थियों के सहयोग पर निर्भर है । कृषि सुधार, उद्योग, यातायात, वैज्ञानिक अनुसंधान-कार्य हो रहे हैं; कारखाने बन रहे हैं; विद्युत्-शक्ति का उत्पादन बढ़ रहा है ।

परमाणु शक्ति के लिए प्रयोगशालाएँ बन रही हैं; सुरक्षा के साधन जुटाए जा रहे हैं; विदेशों से मैत्री-संबंध मजबूत करने का प्रयास चल रहा है । जब विद्यार्थी उक्त कार्यों में लगन और निष्ठा से लग जाएँगे तभी देश का कल्याण होगा ।

इसी तरह सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में भी परिवर्तन की आवश्यकता है । सामाजिक बुराइयों के सुधार में अंधानुकरण न करके भारतीय धर्म और संस्कृति की मूल विशेषताओं की रक्षा करनी होगी । सच बात यह है कि सामाजिक और धार्मिक क्षेत्रों में विद्यार्थी ही परिवर्तन ला सकते हैं ।

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