Hindi, asked by inzy07, 4 months ago

आकाश वाली सभ्यता का सारांश​

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Answered by jagritiiiyadav
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Answer:

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मैं रात के अँधेरे में

सिताओं की ओर देखता हूँ

जिन की रोशनी भविष्य की ओर जाती है

अनागत से मुझे यह खबर आती है

की चाहे लाख बदल जाये

मगर भारत भारत रहेगा

जो ज्योति दुनिया में

बुझी जा रही है

वह भारत के दाहिने करतल पर जलेगी

यंत्रों से थकी हुयी धरती

उस रोशनी में चलेगी

साबरमती, पांडिचेरी, तिरुवन्न मलई

ओर दक्षिणेश्वर,

ये मानवता के आगामी

मूल्य पीठ होंगे

जब दुनिया झुलसने लगेगी,

शीतलता की धारा यहीं से जाएगी

रेगिस्तान में दौड़ती हुयी सन्ततियाँ

थकने वाली हैं

वे फिर पीपल की छाया में

लौट आएँगी

आदमी अत्यधिक सुखों के लोभ से ग्रस्त है

यही लोभ उसे मारेगा

मनुष्य और किसी से नहीं,

अपने आविष्कार से हारेगा

गाँधी कहते थे,

अवकाश बुरा है

आदमी को हर समय

किसी काम में लगाये रहो

जब अवकाश बढ़ता है ,

आदमी की आत्मा ऊंघने लगती है

उचित है कि ज्यादा समय

उसे करघे पर जगाये रहो

अवकाशवाली सभ्यता

अब आने ही वाली है

आदमी खायेगा , पियेगा

और मस्त रहेगा

अभाव उसे और किसी चीज़ का नहीं ,

केवल काम का होगा

वह सुख तो भोगेगा ,

मगर अवकाश से त्रस्त रहेगा

दुनिया घूमकर

इस निश्चय पर पहुंचेगी

कि सारा भार विज्ञान पर डालना बुरा है

आदमी को चाहिए कि वह

ख़ुद भी कुछ काम करे

हाँ, ये अच्छा है

कि काम से थका हुआ आदमी

आराम करे

Explanation:

Answered by Chaitanya1696
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आकाश वाली सभ्यता का सारांश​ है:

  • 'आकाश वाली सभ्यता' एक ऐसी कविता है जिसमें कवि दिनकर हमें कई बहुमूल्य संदेश देते हैं। वह भारत को यह बताने की कोशिश करता है कि लोगों में जो आलस्य है उसे छोड़ो और कड़ी मेहनत करो।
  • यहां तक ​​कि वह युद्ध के बाद की शांति की अवधि पर भी जोर देते हैं और कहते हैं कि ऐसा लगेगा कि सब कुछ शांत है लेकिन यह सही स्थिति नहीं है।
  • कवि उस महाबोधि वृक्ष के बारे में भी बात करता है जहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और पूरी दुनिया को शांति का संदेश मिला था। तो कवि के अनुसार शांति का यह संदेश कहाँ खो गया और क्यों हम हमेशा युद्ध और लड़ाई में ही समाप्त हो जाते हैं।
  • कवि यह भी कहता है कि रात में तारों को देखकर वह भविष्य का अनुमान लगाने में सक्षम होता है। उनके अनुसार, भविष्य चाहे जो भी लेकर आए, भारत हमेशा एक जैसा रहेगा।
  • वैज्ञानिकों ने न जाने कितने यंत्र और उलटे खोजे हैं, जिनका प्रयोग मनुष्य को आलसी बना रहा है। हमें इस आलस्य से बाहर निकलना चाहिए और अपने देश को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाना चाहिए।

#SPJ6

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