आख्यानपरक लेखन की विशेषता?
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आख्यान शब्द आरंभ से ही सामान्यत: कथा अथवा कहानीके अर्थ में प्रयुक्त होता रहा है। तारानाथकृत "वाचस्पत्यम्" नामक कोश के प्रथम भाग में, इसकी व्युत्पत्ति "आख्यायते अनेनेति आख्यानम्" दी है। साहित्यदर्पण में आख्यान को "पुरावृत कथन" (आख्यानं पूर्ववृतोक्ति) कहा गया है। डॉ॰ एस.के. दे के मतानुसार ऋग्वेद के कथात्मक सूक्त वस्तुत: पौराणिक और निजंधरी आख्यान ही है। यास्क ने निरुक्त में सरमा पणीस की कथा को आख्यान कहा है।
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