अअनुच्छेद लेखन 1 दिन बिना बिजली के
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एक दिन अचानक से सुबह लगभग 6:00 बजे हमारे घर की बिजली चली गई। चूंकि ऋतुओं में ग्रीष्म ऋतु का दबदबा था इसलिए 6:00 बजे से ही मैं गर्मी के कारण परेशान होने लगा। शुरुआत में तो गर्मी सहनीय थी परंतु जैसे-जैसे समय बीतने लगा, गर्मी असहनीय होने लगी।
बिजली जाने के एक घंटे बाद ही मैंने बिजली घर पर फोन किया तो उन्होंने बताया कि बिजली आने में समय लगेगा जिसे सुनते ही मेरे अंदर बिजली के जल्दी आने की जो आस थी वह भी टूट गई। इसके अतिरिक्त बढ़ती गर्मी ने मुझे और अधिक परेशान करना शुरू कर दिया।
अब ऐसा लगने लगा कि मानो बिजली के आने की प्रतीक्षा करने के अतिरिक्त मेरे जीवन का कोई और लक्ष्य नहीं है। मेरे परिवार के अन्य सदस्य भी मेरी तरह इसी प्रकार परेशान हो रहे थे। हम सभी पुराने अखबारों एवं कॉपी के गत्ते का जुगाड वाला पंखा बनाकर उपयोग कर रहे थे। इसके अतिरिक्त हमारे पास और कोई विकल्प नहीं था।
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