आन्ग सान सू की के अनुसार वास्तविक मुक्ति क्या है?
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ग सान सू की (जन्म : 19 जून, 1945) म्यांमार (बर्मा) की एक राजनेता, राजनयिक तथा लेखक हैं। वे बर्मा के राष्ट्रपिता आंग सान की पुत्री हैं जिनकी १९४७ में राजनीतिक हत्या कर दी गयी थी। सू की ने बर्मा में लोकतन्त्र की स्थापना के लिए लम्बा संघर्ष किया।
ऑंन्ग सैन सू की
Remise du Prix Sakharov à Aung San Suu Kyi Strasbourg 22 octobre 2013-18.jpg
अध्यक्ष - नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी
पदस्थ
कार्यालय ग्रहण
18 नवंबर 2011
पूर्वा धिकारी
आंग श्वे
महासचिव- नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी
पद बहाल
27 सितम्बर 1988 – 18 नवम्बर 2011
नेता विपक्ष (म्यामांर की लोक सभा)
पद बहाल
2 मई 2012 – 16 नवंबर 2015
राष्ट्रपति
थीन सीन
पूर्वा धिकारी
साई ऐ पाओ
उत्तरा धिकारी
हटे ऊ
प्रतिनिधि सभा म्यामांर (बर्मा) (कवहमु टाउनशिप)
पदस्थ
कार्यालय ग्रहण
2 मई 2012
जन्म
19-जून-1945
यांगून (रंगून), बर्मा
राजनीतिक दल
नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी
जीवन संगी
माइकल ऐरिस (1971–1999)
बच्चे
अलेक्जेंडर ऐरिस
शैक्षिक सम्बद्धता
लेडी श्री राम कॉलेज
धर्म
थेरवाद (बौद्ध धर्म)
पुरस्कार/सम्मान
नोबेल शांति पुरस्कार,
जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार,
भगवान महावीर विश्व पुरस्कार
हस्ताक्षर
१९ जून १९४५ को रंगून में जन्मी आंग सान लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई प्रधानमंत्री, प्रमुख विपक्षी नेता और म्यांमार की नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी की नेता हैं। आंग सान को १९९० में राफ्तो पुरस्कार व विचारों की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार से और १९९१ में नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया है। १९९२ में इन्हें अंतर्राष्ट्रीय सामंजस्य के लिए भारत सरकार द्वारा जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लोकतंत्र के लिए आंग सान के संघर्ष का प्रतीक बर्मा में पिछले २० वर्ष में कैद में बिताए गए १४ साल गवाह हैं। बर्मा की सैनिक सरकार ने उन्हें पिछले कई वर्षों से घर पर नजरबंद रखा हुआ था। इन्हें १३ नवम्बर २०१० को रिहा किया गया है।