आओ मिलकर बचाएँ में कवयित्री क्या बचाने की प्रेरणा देती है।
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में निकली हुई हैं खासकर अब देह व्यापार में निकली हुई हैं खासकर अब देह व्यापार में निकली हुई हैं एक बार एक बार
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यह कविता संथाली भाषा से अनुवादित है। कवि अपने परिवेश को शहरी असंस्कृत से बचाने का आह्वान करता है।
Explanation:
- कवि लोगों का आह्वान करता है कि हमें मिलकर अपनी बस्तियों को नगरीय जीवन के प्रभाव से दूषित होने से बचाना चाहिए। शहरी सभ्यता ने हमारी बस्तियों का पर्यावरण और मानव शोषण किया है।
- हमें अपने परिवेश, अपनी संस्कृति को शोषण से बचाना है, नहीं तो पूरी बस्ती हड्डियों के ढेर में दब जाएगी। कवि कहता है कि हमें अपनी संस्कृति को बचाना है। संथाल परगना की मिट्टी का रंग हमारे चेहरे पर दिखना चाहिए। भाषा में कृत्रिमता की बजाय झारखंड का प्रभाव होना चाहिए।
- इस कविता में दोनों पक्षों को यथार्थ रूप से दिखाया गया है। व्यापक संदर्भ में, यह कविता समाज में उन चीजों को बचाने की बात करती है जो एक स्वस्थ सामाजिक-प्राकृतिक वातावरण के लिए आवश्यक हैं। प्रकृति के विनाश और विस्थापन से आज आदिवासी समाज संकट में है, जो काव्य का विषय है।
इस प्रकार यह उत्तर है।
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