aap ki Drishti Mein Dukh Ka Adhikar Bhi Kya Keval Samaj ke Ek visheshwar Ko Hona chahie
Answers
nahi aisa nahi hai kyuki dukh or sukh humare karmo par nirbhar karta hai. isilye kisi bhi visheswarg ke pur sare samaj ka dukh nahi hona chahiye.
इस पाठ में मुख्य पात्र एक बुढ़िया है जो पुत्र शोक से पीड़ित है। उस बुढ़िया की तुलना एक अन्य स्त्री से की गई है जिसने ऐसा ही दर्द झेला था। दूसरी स्त्री एक संपन्न घर की थी। इसलिए उस स्त्री ने ढ़ाई महीने तक पुत्र की मृत्यु का शोक मनाया था। उसके शोक मनाने की चर्चा कई लोग करते थे। लेकिन बुढ़िया की गरीबी ने उसे पुत्र का शोक मनाने का भी मौका नहीं दिया। बुढ़िया को मजबूरी में दूसरे ही दिन खरबूजे बेचने के लिए घर से बाहर निकलना पड़ा। ऐसे में लोग उसे हिकारत की नजर से ही देख रहे थे। एक स्त्री की संपन्नता के कारण शोक मनाने का पूरा अधिकार मिला वहीं दूसरी स्त्री इस अधिकार से वंचित रह गई। इसलिए इस पाठ का शीर्षक बिलकुल सार्थक है।