आप अपनी कक्षा में भाषा और साक्षरता के
आधारभूत कौशल विकसित करने वाली कौन-कौन
सी गतिविधियाँ प्रयोग में लाते हैं उनके नाम लिखिए।
Answers
Explanation:
हम सभी भाषा को शब्दों, वाक्यों और ध्वनियों के व्यवस्थित रूप में पहचान इतने आदि हो गये हैं कि अपने आस- पास बिखरी भाषाओँ के विविध रूपों को पहचनाने और सराहने की ओर जरा – सा भी ध्यान नहीं दे पाते। क्या स्कूल की घंटी या चाट वाले का तवा हमें पुकारता नहीं हैं? किसी अजनबी की आहट से हमारी गली का कुत्ता भौंक कर हमें आगाह नहीं करता? फिर किसी परिचित को देखकर हमारे चेहरे की मुस्कान बहुत कुछ कह कर नहीं जाती? अँधेरे में सोते हुए पांच साल के बच्चे का अपने पास लेते संबंधी को छूकर महसूस करना क्या सुनने की कोशिश नहीं?
इन सब उदाहरणों के जरिए हम केवल भाषा के विविध रूपों की ओर इशारा करना चाहते हैं। भाषा अपनी बात कहने और दूसरों की बात समझने के माध्यमों (के समूह) का नाम है और यह जरूरी नहीं की भाषा शाब्दिक ही हो या उसमें ध्वनियाँ ही हों। सभी प्राणियों में अपनी आवश्यकतानुसार एक दुसरे से संप्रेषण करने की जन्मजात योग्यता होती है। मानव उन सबसे इसलिए अलग है, क्योंकि वह भाषा का इस्तेमाल केवल संप्रेषण के लिए ही नहीं बल्कि तर्क, कल्पना, विचार और सृजन के लिए भी करता है। मानव का भाषायी विकास उसके जन्म से ही प्रारंभ हो जाता है और जिन्दगी भर जारी रहता है। इस विकास में उसके विकास में आस – पास के लोग, स्थितियां, परिवेश आदि तो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उसका स्वयं का योगदान भी कुछ कम नहीं होता इसलिए एक ही माँ की दो संतानों की भाषा इतनी अलग हो पाती है। यह इसलिए कि प्रत्येक मस्तिष्क अपने आस – पास की भाषा को ज्यों का त्यों ग्रहण नहीं कर लेता बल्कि उसे परिवर्धित करके उसमें अपने व्यक्तित्व के रंग भर लेता है। इस प्रकार किसी भी भषा में सामूहिकता के साथ – साथ एक प्रकार के वैयक्तिक विशिष्टता सदैव मौजूद रहती है। विद्यालय के कार्य इन दोनों विशेषताओं के भरपूर विकास के लिए रोचक और सृजनात्मक वातावरण उपलब्ध करवाना है ताकि स्कूल में पढ़ने वले बच्चे किसी फैक्ट्री से निकलने वाले रोबोट न बन जाएँ बल्कि उनमें अपनी व्यक्तिगत विशेषताएं बरक़रार रहें।