आप अपने व्यवहार में प्राय: सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन कैसे करते हैं? सामाजिक अनुरूपता के कौन-कौन से निर्धारक हैं?
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"हम अपने व्यवहार में सामाजिक अनुरूपता का इस प्रकार प्रदर्शन करते हैं जिसे हम निम्न उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं।
माना कि कॉलेज में मोबाइल ले जाना प्रतिबंधित कर दिया है लेकिन छात्र इसका विरोध करते हैं और अपना विरोध प्रकट करने के लिये प्रधानाचार्य को देने के लिये एक प्रार्थनापत्र तैयार करते हैं कि मोबाइल पर से प्रतिबंध हटा लिया जाए। सब छात्रों को उस पर हस्थाक्षर करने हैं। आपकी व्यक्तिगत राय में मोबाइल पर प्रतिबंध लगाना उचित है और आपको भले ही आप को ये निर्णय तर्कसंगत लगे, लेकिन फिर भी उसके प्रतिबंध के विरुद्ध प्रार्थनपत्र पर आप हस्ताक्षर कर देते हैं। क्योंकि आप जानते हैं, यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो आप अपने साथी छात्रों में अलोकप्रिय हो सकते हैं। अपने साथी छात्रों के साथ आपके संबंध खराब हो सकते हैं और आपकी राय में प्रतिबंध का विरोध तर्कसंगत ना होने के बावजूद भी आप प्रार्थनापत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए सहमत हो जाते हैं तो आप एक प्रकार के सामाजिक प्रभाव को अभिवृत्त करते हैं जिसे अनुरूपता कहा गया है। इस तरह के व्यवहारों में ही हम सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन करते हैं।
अनुरूपता के निर्धारक इस प्रकार से हैं।
(1) समूह का आकार- अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह बड़ा होता है क्योंकि बड़े समूह में विसामान्य सदस्य (जो अनुरूपता को प्रदर्शित नहीं करते हों) को पहचानना आसान नहीं होता । इस कारण बहुसंख्यक सदस्यों के बीच एक सहमति हो जाती है और उनका दबाव प्रबल हो जाता है। इस कारण अल्पसंख्यकों द्वारा अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक हो जाती है ।
(2) अल्पसंख्यकों का आकार- जब भी विसामान्य सदस्यों, जो कि अनुरूपता का प्रदर्शन नहीं करते हैं, उनका आकार बढ़ता है तो अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना कम हो जाती है।
(3) कार्य की प्रकृति- अनुरूपता का प्रदर्शन कार्य की प्रकृति पर भी निर्भर करता है। एक ऐसा कार्य जिसके परिणाम का सत्यापन नहीं किया जा सके अर्थात उसके परिणाम को अपने अनुसार बदला जा सके तो उस स्थिति में अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक होती है।
(4) व्यवहार की सार्वजनिक या व्यक्तिगत अभिव्यक्ति- उस तरह के व्यवहार में जो सार्वजनिक हो और जिसमें व्यक्ति के मत का सब लोगों को पता चल जाता हो, तो ऐसी स्थिति में अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना प्रबल हो जाती है जबकि व्यक्तिगत व्यवहार की स्थिति में जब व्यक्ति के मत का किसी को पता नहीं चल पाता हो अर्थात गुप्त मतदान हो तो अनुरूपता की संभावना कम हो जाती है।
(5) व्यक्तितत्व- ऐसे व्यक्ति जो उच्च बुद्धिमान हैं, बुद्धिजीवी हैं, जिनका स्वयं पर विश्वास है. जो अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं तथा जो आत्मसम्मानी होते हैं उनके द्वारा अनुरूपता प्रदर्शित करने की संभावना कम होती है।
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