आप जब भी घर से स्कूल जाते हैं कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा होता है।
सूरज डूबने का समय भी आपको खेल के मैदान से घर लौट चलने की
सूचना देता है कि घर में कोई आपकी प्रतीक्षा कर रहा है-प्रतीक्षा करनेवाले
व्यक्ति के विषय में आप क्या सोचते हैं? अपने विचार लिखिए।
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प्रतीक्षा करने वाला सदा स्वजन ही होता है। जब हम विद्यालय से घर जाते हैं या शाम को खेल के मैदान में डूबता सूरज यह संदेश देता है कि घर जाना चाहिए, तो मन में केवल एक ही भाव उठता है कि माँ प्रतीक्षा कर रही होंगी। माँ सदा चाहती है कि स्कूल से बच्चे समय पर घर आएँ, मैदान में खेलते हुए दिन ढलने लगे तो वे घर आ जाएं।
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जब भी घर से स्कूल जाते है, कोई मेरी प्रतीक्षा कर रहा होता है, खेल के मैदान से घर लौटते वक्त प्रतीक्षा करने वाले व्यक्ति के विषय में निम्नलिखित विचार आते है।
- स्कूल से जब हम घर लौटते है, उस वक़्त हमें पता होता है कि हमारी मां घर पर हमारी प्रतीक्षा कर रही होगी।
- मां हमारी प्रतीक्षा करती है क्योंकि मां हमसे प्यार करती है , उसे हमारी फिक्र होती है कि हम सुबह से स्कूल गए थे, स्कूल में दिमाग लगाकर पढ़ाई की जाती है। गणित के सवाल हल किए जाते है जिसमें हमें मस्तिष्क का प्रयोग करना पड़ता है। हम थक भी जाते है इसलिए मां को लगता है कि हमें भूख लगी होगी।
- घर आकर हम मां से मिलते है वह हमें गले लगाती है। प्यार करती है, खाना खिलाती है फिर मां हमें सुला देती है। शाम को गृह कार्य करने के बाद हम खेलने जाते है , खेलकर लौटते समय फिर मां का विचार आता है कि मां घर में हमारी प्रतीक्षा कर रही होगी । हमारे किए खाना तैयार कर रखा होगा तथा घर जाने से ही वो हमे हमारा मनपसंद खाना खिलाएगी। यह सोचकर बहुत खुशी मिलती है कि कोई घर पर हमारा इंतजार कर रहा होगा।
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