Hindi, asked by sethk5417, 4 months ago

आप कोलकाता निवासी अखिलेश/ आशा हो, अपने दिल्ली में रहने वाले एक मित्र के कोरोना ग्रसित हो जाने पर सांत्वना देते हुए पत्र लिखें ​

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Answered by ketansudan
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Explanation:

मेरे प्रिय देशवासियों,

पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है।आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है।लेकिन इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर में पूरी मानवजाति को संकट में डाल दिया है।

 

जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था, तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे,जितने आज कोरोना से हैं।

 

पिछले दो महीने से हम निरंतर दुनिया भर से आ रहीं कोरोना वायरस से जुड़ी चिंताजनक खबरें देख रहे हैं,सुन रहे हैं।

 

इन दो महीनों में भारत के130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है, आवश्यक सावधानियां बरती हैं।

 

लेकिन,बीते कुछ दिनों से ऐसा भी लग रहा है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं,सब कुछ ठीक है।

 

वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है।

 

इसलिए,प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना,सतर्क रहना बहुत आवश्यक है।

साथियों,आपसे मैंने जब भी,जो भी मांगा है,मुझे कभी देशवासियों ने निराश नहीं किया है।ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हमारे प्रयास सफल होते हैं।आज,मैं आप सभी देशवासियों से, आपसे,कुछ मांगने आया हूं।मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए,आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।

 

साथियों,अभी तक विज्ञान,कोरोना महामारी से बचने के लिए,कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है।ऐसी स्थिति में चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है।

 

दुनिया के जिन देशों में कोरोना वायरस का प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है,वहां अध्ययन में एक और बात सामने आई है।

 

इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है।इन देशों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।भारत सरकार इस स्थिति पर, कोरोना के फैलाव के इस ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है।

 

हालांकि कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने तेजी से फैसले लेकर,अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा Isolate करके स्थिति को सँभाला है।भारत जैसे130 करोड़ की आबादी वाले देश के सामने, विकास के लिए प्रयत्नशील देश के सामने,कोरोना का ये बढ़ता संकट सामान्य बात नहीं है।

 

आज जबबड़े-बड़े और विकसित देशों में हम कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं,

तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,ये मानना गलत है।

 

इसलिए,  इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की आवश्यकता है।

 

पहला- संकल्पऔरदूसरा- संयम।

 

आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते,अपने कर्तव्य का पालन करेंगे,केंद्र सरकार,राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।

 

आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।

साथियों,इस तरह की वैश्विक महामारी में, एक ही मंत्र काम करता है- “हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ”।

 

ऐसी स्थिति में,जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है,तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है।इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए अनिवार्य है संयम।

 

और संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना,घर से बाहर निकलने से बचना।आजकल जिसे Social Distancing कहा जा रहा है, कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में,ये बहुत ज्यादा आवश्यक है।

 

हमारा संकल्प और संयम, इस वैश्विक महामारी के प्रभावों को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

 

और इसलिए,अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं,आपको कुछ नहीं होगा,आप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे,सड़कों पर जाते रहेंगे,और कोरोना से बचे रहेंगे, तो ये सोच सही नहीं है।

 

ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे।इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक, जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें।

 

जितना संभव हो सके,आप अपना काम,चाहे बिजनेस से जुड़ा हो,ऑफिस से जुड़ा हो,अपने घर से ही करें।

 

जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं,जन-प्रतिनिधि हैं, जो मीडिया कर्मी हैं,इनकी सक्रियता तो आवश्यक है लेकिन समाज के बाकी सभीलोगों को,खुद को बाकी समाज से Isolate कर लेना चाहिए।

 

मेरा एक और आग्रह है कि हमारे परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन्स हों,65 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति हों,वो आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें।

 

आज की पीढ़ी इससे बहुत परिचित नहीं होगी,लेकिन पुराने समय में जब युद्ध की स्थिति होती थी,

तो गाँव गाँव  मेंBlackOutकिया जाता था। घरों के शीशों पर कागज़ लगाया जाता था, लाईटबंद कर दी जाती थी, लोग चौकी बनाकर पहरा देते थे |

 

ये कभी-कभी काफी लंबे समय तक चलता था। युद्ध ना भी हो तो भी बहुत सी जागरूक नगरपालिकाएं BlackOutकी ड्रिल भी कराती थी।

 

साथियों,मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं।ये है जनता-कर्फ्यू।

 

जनता कर्फ्यू यानि जनता के लिए,जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू।

 

इस रविवार,यानि22 मार्च को, सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक, सभी देशवासियों को,जनता-कर्फ्यू का पालन करना है।

 

इस दौरान हम न घरों से बाहर निकलेंगे, न सड़क पर जाएंगे, न मोहल्ले में कहीं जाएंगे।

सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग ही 22 मार्च को अपने घरों से बाहर निकलेंगे।

 

 

 

just change deshvasi to mitr

I hope you liked my answer

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