Hindi, asked by anubhav7063, 8 months ago

आप लॉकडाउन के समय किस प्रकार की आजादी चाहते हैं 10 पंक्तियों में लिखिए l​

Answers

Answered by XxGoutamxX
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यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने,

कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर

कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

जो शुरू हुई सन सत्तावन में

सन सैंतालीस तक शुरू रही

मारे गए अंग्रेज कई

वीरों के रक्त की नदी बही,

मजबूत किया संकल्प था उनका

भारत माता के नीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

देश की रक्षा की खातिर

थी रानी ने तलवार उठायी

पीठ पर बांधा बालक को

पर जंग में न थी पीठ दिखाई,

कुछ ऐसे हुई शहीद की जैसे

त्यागे हैं प्राण रणधीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

ऊधम सिंह और मदन लाल

ने खूब ही नाम कमाया था

घुस कर लंदन में अंग्रेजों को

उनका अंजाम दिखाया था,

यूँ मातृभूमि से प्यार किया

जैसे खुदा से किया फकीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

जोश ही जोश भरा था लहू में

मजबूत शरीर बनाया था

हालात पतली कर दी थी

अंग्रेजों को खूब डराया था,

आजाद वो था आजाद रहा

न पकड़ा गया जंजीरों में

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह

हंस कर फांसी पर जब झूले

बजा बिगुल फिर आजादी का

हृदय में सबके उठे शोले,

लोगों के खौफ से डर कर ही

इन्हें जलाया सतलुज के तीरों पे

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

है गर्व मुझे उन वीरों पर

भारत माँ के जो बेटे है

हो जान से प्यारा वतन हमें

शिक्षा इस बात की देते हैं,

इसी आजादी की खातिर ही

दी है जान देश के हीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने,

कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर

कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

Answered by anisha11035
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Answer:

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने,

कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर

कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

जो शुरू हुई सन सत्तावन में

सन सैंतालीस तक शुरू रही

मारे गए अंग्रेज कई

वीरों के रक्त की नदी बही,

मजबूत किया संकल्प था उनका

भारत माता के नीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

देश की रक्षा की खातिर

थी रानी ने तलवार उठायी

पीठ पर बांधा बालक को

पर जंग में न थी पीठ दिखाई,

कुछ ऐसे हुई शहीद की जैसे

त्यागे हैं प्राण रणधीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

ऊधम सिंह और मदन लाल

ने खूब ही नाम कमाया था

घुस कर लंदन में अंग्रेजों को

उनका अंजाम दिखाया था,

यूँ मातृभूमि से प्यार किया

जैसे खुदा से किया फकीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

जोश ही जोश भरा था लहू में

मजबूत शरीर बनाया था

हालात पतली कर दी थी

अंग्रेजों को खूब डराया था,

आजाद वो था आजाद रहा

न पकड़ा गया जंजीरों में

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह

हंस कर फांसी पर जब झूले

बजा बिगुल फिर आजादी का

हृदय में सबके उठे शोले,

लोगों के खौफ से डर कर ही

इन्हें जलाया सतलुज के तीरों पे

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

है गर्व मुझे उन वीरों पर

भारत माँ के जो बेटे है

हो जान से प्यारा वतन हमें

शिक्षा इस बात की देते हैं,

इसी आजादी की खातिर ही

दी है जान देश के हीरों ने

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने,

कुछ हंस कर चढ़े हैं फांसी पर

कुछ ने जख्म सहे शमशीरों के,

यूँ ही नहीं मिली आजादी

है दाम चुकाए वीरों ने।

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