आप मानव संसाधन मंत्रालय में होते तो मानव संसाधन को बेहतर बनाने के लिए क्या-क्या करते ?
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यदि हम मानव संसाधन मंत्रालय में होते तो मानव संसाधन को बेहतर बनाने के लिए निम्न उपाय करते...
- मानव संसाधन का तात्पर्य है. देश में उपस्थित सभी नागरिक जो कि मानव संसाधन का ही रूप हैं। इसलिए सभी नागरिकों की कार्यकुशलता बढ़ेगी तो देश का विकास भी तेज होगा। इसलिए हम अधिक से अधिक ऐसे विद्यालय और शैक्षणिक संस्थान खोलने का प्रयत्न करते जिसमें देश के नागरिक अधिक से अधिक कार्य कुशल बन सकें।
- शिक्षा मानव संसाधन को बेहतर बनाती है, इसलिये हम सभी को शिक्षा हासिल करना अनिवार्य बनाते।
- हम पूरे देश में न्यूनतम शिक्षा कानून को लागू करते थे। जिसमें देश के हर नागरिक को कम से कम दसवीं तक शिक्षा हासिल करना जरूरी होता।
- हम हर राज्य और हर शहर में ऐसी वोकेशनल शैक्षणिक संस्थान खोलते, जो अधिक से अधिक छात्रों को रोजगारोन्मुखी बना सकें।
- हम प्रत्येक राज्य में मातृभाषा में आरंभिक शिक्षा को अनिवार्य बनाते जिससे विद्यार्थी सहज होकर शिक्षा ग्रहण करे।
- हम ऐसे प्रोत्साहन युक्त कानून बनाते जिससे देश में अधिक से अधिक लोग शिक्षा प्राप्त करने की प्रेरित हों। जितने अधिक लोग शिक्षित होंगे मानव संसाधन उतना ही बेहतर होगा।
- हम शिक्षा की पारंपरिक किताबी ज्ञान वाली पद्धति में परिवर्तन लाकर व्यवहारिक शिक्षा पर भी देते जिससे अधिक कार्यकुशल बना जा सके।
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मानव संसाधन (HUMAN RESOURCES)वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में देखती है। शिक्षा प्रशिक्षण और चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणाम स्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन के रूप में बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूँजी है। यह मानव पूँजी कौशल और उन्में निहित उत्पादन के ज्ञान का भंडार है। यह प्रतिभाशाली और काम पर लगे हुए लोगों और संगठनात्मक सफलता के बीच की कड़ी को पहचानने का सूत्र है। यह उद्योग/संगठनात्मक मनोविज्ञान और सिद्धांत प्रणाली संबंधित अवधारणाओं से संबद्ध है। मानव संसाधन की संदर्भ के आधार पर दो व्याख्याएं मिलती हैं।
इसका मूल अर्थ राजनीतिक अर्थव्यवस्था और अर्थशास्त्र से लिया गया है, जहां पर इसे पारंपरिक रूप से उत्पादन के चार कारकों में से एक श्रमिक कहा जाता था, यद्धपि यह दृष्टिकोण राष्ट्रीय स्तर पर नए और योजनाबद्ध तरीकों में अनुसन्धान के चलते बदल रहा है।[1] पहला तरीका अधिकतर 'मानव संसाधन विकास' शब्द के रूप में प्रयुक्त होता है और यह सिर्फ संगठनों से शुरू हो कर राष्ट्रीय स्तर तक हो सकता है। पारम्परिक रूप से यह कारपोरेशन व व्यापार के क्षेत्र में व्यक्ति विशेष (जो उस फर्म या एजेन्सी में कार्य करता है) के लिए, तथा कंपनी के उस हिस्से को जो नियुक्ति करने, निकालने, प्रशिक्षण देने तथा दूसरे व्यक्तिगत मुद्दों से सम्बंधित है व जिसे साधारणतयाः "मानव संसाधन प्रबंधन" के नाम से जाना जाता है।, के लिए होता प्रयुक्त होता है। यह लेख दोनों परिभाषाओं से सम्बंधित है।
मानव संसाधनों के विकास का उद्देश्य मानव संसाधन संपन्नता को प्रबुद्ध और एकजुट नीतियों के माध्यम से शिक्षा, प्रशिक्षण, स्वास्थ्य और रोजगार के सभी स्तरों को कॉर्पोरेट से ले कर राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ावा देना है।