आप और आपकी मांँ के बीच रात के खाने के समय हुई बात-चीत को संवाद के रूप में लिखे।
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माॅ: (थाली में रोटी डालते हुए)एक रोटी और ले लो बेटा।
मैं: नहीं ,अब और नहीं ,मां ! पेट भर गया ।
मां: क्यों आज खाना अच्छा नहीं बना।
मैं :नहीं माॅ यह बात नहीं है मेरा पेट भर गया है।
मां : पहले तुम छोटे थे तो पहला निवाला मुंह पर डालते ही कहते थे कि वाह मजा आ गया खाना बहुत स्वादिष्ट है।
मैं : नहीं मां ,खाना तो बहुत स्वादिष्ट है, बस मेरा पेट भर गया है।
मां : तो फिर तुमने कहा पहले क्यों नहीं कहा कि खाना स्वादिष्ट है।
तो फिर तुमने कहा पहले क्यों नहीं कहा कि खाना स्वादिष्ट है।
मैं: माॅ मुंह में स्वाद घुल रहा था। इसीलिए मैं कहना ही भूल गया कि खाना तो बहुत स्वादिष्ट है।
माॅ : अच्छा झूठी तारीफ ना करो।
मैं : अरे माॅ! तुम तो नाराज हो गई। । झूठी तारीफ नहीं, तुम्हारे हाथ का खाना तो कल भी स्वादिष्ट था ,आज भी स्वादिष्ट है और हमेशा स्वादिष्ट ही रहेगा।
माॅ: ( मुस्कुराते हुए ) ठीक है ,ठीक है । अब ज्यादा ना बोलो।
कि खाना तो बहुत स्वादिष्ट है।
मैं : ठीक है मां, कल से तो मैं पहला निवाला मुंह पर डालते ही बता दूंगा कि खाना कितना स्वादिष्ट है।