.. आपात्काल के दौरान पुलिस एवं नौकरशाही की स्थिति कैसी थी?
उत्तरीय प्रश्न
Answers
Explanation:
किसी बड़ी संस्था या सरकार के परिचालन के लिये निर्धारित की गयी संरचनाओं एवं नियमों को समग्र रूप से अफसरशाही या ब्यूरोक्रैसी (Bureaucracy) कहते हैं। तदर्थशाही (adhocracy) के विपरीत इस तंत्र में सभी प्रक्रियाओं के लिये मानक विधियाँ निर्धारित की गयी होती हैं और उसी के अनुसार कार्यों का निष्पादन अपेक्षित होता है। शक्ति का औपचारिक रूप से विभाजन एवं पदानुक्रम (hierarchy) इसके अन्य लक्षण है। यह समाजशास्त्र का प्रमुख परिकल्पना (कांसेप्ट) है।
Answer:
आपातकाल के दौरान पुलिस और नौकरशाही स्वतंत्र संस्थाओं के बजाय राज्य सत्ता के साधन थे। उनके कार्यों को सरकार के अधिनायकवादी एजेंडे द्वारा निर्देशित किया गया था, और उन्होंने अक्सर उन तरीकों से कार्य किया जो नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन करते थे।
Explanation:
भारत में आपातकाल के दौरान, जो 1975 से 1977 तक चला, पुलिस और नौकरशाही सख्त सरकारी नियंत्रण और सेंसरशिप के अधीन थी। सरकार ने नागरिक स्वतंत्रता को निलंबित कर दिया, प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी और राजनीतिक विरोधियों को बिना मुकदमे के हिरासत में ले लिया। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को व्यापक अधिकार दिए गए थे, और अक्सर अत्यधिक बल का प्रयोग करने और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के लिए उनकी आलोचना की जाती थी।
नौकरशाही भी सरकार द्वारा भारी रूप से नियंत्रित थी, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों को उनकी योग्यता या अनुभव के बजाय सत्तारूढ़ पार्टी के प्रति उनकी वफादारी के आधार पर नियुक्त किया गया था। सरकार ने अपनी नीतियों को लागू करने और असंतोष को दबाने के लिए नौकरशाही का इस्तेमाल किया, और सरकारी कार्यों के खिलाफ बोलने वाले अधिकारियों ने अपनी नौकरी खोने या हिरासत में लेने का जोखिम उठाया।
कुल मिलाकर, आपातकाल के दौरान पुलिस और नौकरशाही स्वतंत्र संस्थाओं के बजाय राज्य सत्ता के उपकरण थे। उनके कार्यों को सरकार के अधिनायकवादी एजेंडे द्वारा निर्देशित किया गया था, और उन्होंने अक्सर उन तरीकों से कार्य किया जो नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रता का उल्लंघन करते थे।
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