Hindi, asked by DishaPunia30, 6 months ago

आपके अनुसार इस बड़ती जनसंखया के क्या कारण है।​

Answers

Answered by thor42
1

Log ni samajhte ki agar ye ruka ni to kya hoga log sirf khud ke liye sochte h log jagruk ni h

Answered by hbsingh79gmailcom
1

Answer:

पूरी दुनिया जनसंख्या के बढ़ते बोझ से चिन्तित है। इससे न केवल हमारा आर्थिक सन्तुलन बल्कि पारिस्थितिकीय सन्तुलन को भी बिगाड़ दिया है, जिसका परिणाम हम बढ़ती प्राकृतिक एवं मानव जन्य आपदाओं तथा जलवायु परिवर्तन जैसी पर्यावरण चुनौतियों से जोड़कर देख सकते हैं। जल प्रदूषण, वायू प्रदूषण जैसी समस्याओं का कारण बढ़ती जनसंख्या ही है। जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ रहा है, यह चिन्ताजनक स्थिति है।

वर्तमान में विश्व की जनसंख्या 7 अरब से भी ज्यादा है, जो वर्ष 2100 तक दस अरब 90 करोड़ होने का अनुमान है। जनसंख्या की वृद्धि मुख्यतः विकासशील देशों में होने की सम्भावना है। इसमें से आधी से ज्यादा जनसंख्या अफ्रीकी देशों में होगी। वर्ष 2050 में नाइजीरिया की जनसंख्या संयुक्त राष्ट्र अमेरिका से ज्यादा हो जाने की सम्भावना है।

आज चीन, सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है, लेकिन आने वाले समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा आबादी वाला देश होने जा रहा है। यह तब है जब भारत और इंडोनेशिया जैसे देशों में प्रजनन दर कम हुई है, क्योंकि इन देशों में परिवार नियोजन के विभिन्न कार्यक्रम जोर-शोर से चल रहे हैं।

जनसंख्या को काबू रखने के लिये लोगों को शिक्षित एवं जागरूक बनाने की दृष्टि से हर वर्ष 11 जुलाई को ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ पूरे विश्व में मनाया जाता है। 11 जुलाई 1987 को विश्व की जनसंख्या 5 अरब हुई थी, तब से इस विशेष दिन को यूनाईटेड नेशन्स डेवलपमेन्ट प्रोग्राम द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस घोषित कर, हर साल एक याद और परिवार नियोजन का संकल्प लेने के दिन के रूप में याद किया जाने लगा है।

हर राष्ट्र में इस दिन का विशेष महत्त्व है, क्योंकि आज दुनिया के हर विकासशील और विकसित देश, जनसंख्या विस्फोट से चिन्तित हैं। विकासशील देश अपनी आबादी और जनसंख्या के बीच तालमेल बिठाने की कोशिश कर रहे हैं तो विकसित देश पलायन और रोजगार की चाह में बाहरी देशों से आकररहने वाले शरणार्थियों के कारण परेशान हैं। भारत में इस दिवस को मनाने का उद्देश्य, जनसंख्या वृद्धि दर को 2.1 प्रतिशत पर स्थिर करने का है।

बढ़ती हुई आबादी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये किसी भी जिम्मेदार सरकार को प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुन्ध दोहन करना पड़ता है, जिसका ख़ामियाज़ा अनेक रूपों में भुगतना पड़ता है। तीव्र गति से हो रही जनसंख्या बढ़ोत्तरी के अनेक कारण हैं। इनके प्रमुख कारणों में है, जन्म दर में वृद्धि तथा मृत्यु दर में कमी, निर्धनता, गाँवों की प्रधानता तथा कृषि पर निर्भरता, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, धार्मिक एवं सामाजिक अन्धविश्वास, शिक्षा का अभाव इत्यादि। इसके अलावा संयुक्त परिवार प्रथा तथा उष्ण जलवायु भी इसके कारकों में से है।

जनसंख्या वृद्धि के अनेक दुष्परिणाम हमें भुगतने पड़ रहे हैं। इसका पहला दुष्परिणाम, प्राकृतिक परिवेश को ही भुगतना पड़ता है। बढ़ती जनसंख्या के कारण कृषि विस्तार के लिये वनों को काटा जा रहा है। इससे कृषि योग्य बंजर भूमि तथा विविध वृक्ष प्रजातियों तथा बागों की सुरक्षित भूमि में कमी हो रही है।

औद्योगिक विकास तथा आर्थिक विकास की चाह में उष्ण कटिबंधीय वनों का विनाश होते हम सभी देख रहे हैं। उष्ण कटिबंधीय सघन वन प्रतिवर्ष एक करोड़ हेक्टेयर की वार्षिक दर से लुप्त हो रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि थाईलैण्ड तथा फिलीपीन्स जैसे देश में जो कभी प्रमुख लकड़ी निर्यातक देशों में अग्रणी थे, वनों के विनाश के कारण बाढ़, सूखे तथा पारिस्थितिकी विनाश के शिकार हैं। जनसंख्या का दबाव निर्धनता, बेरोजगारी, आवास की समस्या, कुपोषण, चिकित्सा सुविधाओं पर दबाव तथा कृषि पर भार के रूप में भी देखा जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि के पर्यावरण के विभिन्न घटकों पर गम्भीर प्रभाव देखने में आए हैं। जिससे कई आर्थिक, सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। आर्थिक विकास में अवरोध, पर्यावरण प्रदूषण तथा अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ, ऊर्जा संकट, औद्योगिकीकरण एवं नगरीकरण, यातायात की समस्याएँ, रोज़गार की समस्याएँ आदि जनसंख्या के निरन्तर वृद्धि के ही दुष्परिणाम हैं।

Explanation:

please mark me as brainliest plzzz

Similar questions