आपके घर की किसी परंपरा के बारे में घर के बुजुर्गों से जानकारी प्राप्त कीजिए। वह परंपरा उचित है या अनुचित, इस पर अपना
मत शब्दांकित कीजिए
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Answer:
मैंने अपने घर में बुजुर्गों से एक परंपरा के बारे में जानकारी प्राप्त की और वह परंपरा थी..
पर्दा प्रथा...
हमारे घर में पर्दा प्रथा का बहुत चलन था। घर की बहू को अपने ससुर व जेठ से पर्दा करना ही पड़ता था। इसके अलावा बाहर से कोई व्यक्ति आता तो उसके सामने पर्दा करना पड़ता था। मुझे यह प्रथा बड़ी अजीब सी लगी। अपने घर के सदस्यों से अपना मुंह क्यों छुपाना। हमारे इसे बुजुर्ग इसे आदर सम्मान का प्रतीक बताते थे। पर मेरी नजर में यह पूरी तरह आदर सम्मान का प्रतीक नहीं थी, बल्कि नारी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाली प्रथा थी। यदि आदर बड़ों के प्रति आदर सम्मान प्रकट करना ही है तो सिर पर हल्का सा पल्लू रखा जा सकता है लेकिन लंबा चौड़ा घूंघट करने का कोई औचित्य नहीं।
बहू के लिये ससुर उसके पिता समान ही होते हैं। उनसे मुंह क्या छुपाना इसके लिए मुझे यह पर्दा प्रथा अजीब सी लगी। अब हमारे आधुनिक समाज में पर्दा प्रथा का समापन होता जा रहा है और वह बहुयें अपने ससुर, जेठ आदि के सामने बिना पर्दे के निश्चिंत भाव से आती हैं। इससे घर में समरसता का माहौल पैदा होता है और बड़ी खुशी होती है।
Answer:
हमारे घर में पर्दा प्रथा का बहुत चलन था। घर की बहू को अपने ससुर व जेठ से पर्दा करना ही पड़ता था। इसके अलावा बाहर से कोई व्यक्ति आता तो उसके सामने पर्दा करना पड़ता था। मुझे यह प्रथा बड़ी अजीब सी लगी। अपने घर के सदस्यों से अपना मुंह क्यों छुपाना । हमारे इसे बुजुर्ग इसे आदर सम्मान का प्रतीक बताते थे। पर मेरी नजर में यह पूरी तरह आदर सम्मान का प्रतीक नहीं थी, बल्कि नारी के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने वाली प्रथा थी। यदि आदर बड़ों के प्रति आदर सम्मान प्रकट करना ही है तो सिर पर हल्का सा पल्लू रखा जा सकता है लेकिन लंबा चौड़ा घूंघट करने का कोई औचित्य नहीं।
बहू के लिये ससुर उसके पिता समान ही होते हैं। उनसे मुंह क्या छुपाना इसके लिए मुझे यह पर्दा प्रथा अजीब सी लगी। अब हमारे आधुनिक समाज में पर्दा प्रथा का समापन होता जा रहा है और वह बहुयें अपने ससुर, जेठ आदि के सामने बिना पर्दे के निश्चिंत भाव से आती हैं। इससे घर में समरसता का माहौल पैदा होता है और बड़ी खुशी होती है।
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