आपके जीवन में हिंसा का क्या स्थान है? आखिरी वक्त आपका झगडा क्यू हुआ था?
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दूसरे कई देशों की तरह भारत में भी लंबे समय से चल रहा लॉकडाउन घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए भारी साबित हुआ है. 18 अप्रैल को तारा (अनुरोध पर बदला हुआ नाम) ने ऑनलाइन हेल्पलाइन नंबर सर्च किया जिस पर घरेलू हिंसा की शिकार पीड़ितों को मदद मिलती है.
तब लॉकडाउन को गुज़रे हुए तीन हफ़्ते से थोड़े ज़्यादा का वक़्त हुआ था. भारत में 25 मार्च से लॉकडाउन शुरू हुआ था.
उनके पति 15 सालों से उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज करते आ रहे हैं. लेकिन चूंकि वो नौकरी करती थीं, इसलिए वो ज़्यादातर वक़्त घर से बाहर रहती थीं. उनके पति भी अक्सर सफ़र पर होते थे जिस वजह से वो दोनों ज्यादा वक़्त साथ में नहीं रहते थे.
लॉकडाउन ने लेकिन अब उन दोनों के बीच बहुत कुछ बदल कर रख दिया है.
उनके पति और सास सुन न लें इसलिए वो फ़ोन पर बंद कमरे से धीमी आवाज़ में बताती हैं, "मैं हमेशा एक डर के साए में जीती हूँ कि कौन सी बात मेरे पति को बुरी लग जाए."