Hindi, asked by ItzMagicalQueen, 2 months ago

आपका मित्र वार्षिक परीक्षा में असफल हो गया है। उसे दुबारा मन लगाकर परिश्रम से पढ़ने के लिए उत्साहवर्धन करते हुए पत्र लिखिए।


Answers

Answered by Anonymous
19

परीक्षा भवन,

नई दिल्ली,

27 फरवरी, 2019

प्रिय मित्र गौतम,

कल ही तुम्हारा पत्र मिला। पत्र पढ़कर बहुत दुख हुआ कि तुम कुछ ही अंकों के कारण वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हो।

मित्र, हम मित्रों, रिश्तेदारों तथा तुम्हारे सभी सहपाठियों को पता है कि तुम परीक्षा से लगभग डेढ़ माह पूर्व से ही स्कूल नहीं आ सके। तुम अपने पिता के इलाज के लिए जगह-जगह भटकते रहे और अंत में वे अपोलो अस्पताल में दस दिन तक भर्ती रहे। उनकी सेवा करते हुए तुमने आज के युवाओं के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे में तुम अपनी पढ़ाई कैसे कर पाते।

मित्र! जीवन में सुख-दुख, सफलता-असफलता, हानि-लाभ तो आते-जाते रहते हैं। तुम एक बार फिर से अपने कोर्स को दोहराना शुरू कर दो। पूरा कोर्स तुमने पढ़ ही रखा है, उसे मन लगाकर तथा परिश्रम करते हुए दोहराने की आवश्यकता है। मुझे आशा ही नहीं वरन् विश्वास है कि तुम अपने परिश्रम और लगन से सिद्ध कर दोगे कि परिश्रम से हर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

अंत में मेरा एक सुझाव है कि तुम असफल होने जैसी बातें भूल कर नए उत्साह, उमंग, लगन एवं परिश्रम से पढ़ाई में जुट जाओ। सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। पत्रोत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,

प्रीत सिंह

ʜᴏᴘE ɪT ʜᴇʟᴘS ᴜH !!

Answered by Anonymous
44

  \huge\mathcal \colorbox{lime}{☆Answer☆}

परीक्षा भवन,

नई दिल्ली,

27 फरवरी, 2019

प्रिय मित्र गौतम,

कल ही तुम्हारा पत्र मिला। पत्र पढ़कर बहुत दुख हुआ कि तुम कुछ ही अंकों के कारण वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हो।

मित्र, हम मित्रों, रिश्तेदारों तथा तुम्हारे सभी सहपाठियों को पता है कि तुम परीक्षा से लगभग डेढ़ माह पूर्व से ही स्कूल नहीं आ सके। तुम अपने पिता के इलाज के लिए जगह-जगह भटकते रहे और अंत में वे अपोलो अस्पताल में दस दिन तक भर्ती रहे। उनकी सेवा करते हुए तुमने आज के युवाओं के लिए उदाहरण प्रस्तुत किया है। ऐसे में तुम अपनी पढ़ाई कैसे कर पाते।

मित्र! जीवन में सुख-दुख, सफलता-असफलता, हानि-लाभ तो आते-जाते रहते हैं। तुम एक बार फिर से अपने कोर्स को दोहराना शुरू कर दो। पूरा कोर्स तुमने पढ़ ही रखा है, उसे मन लगाकर तथा परिश्रम करते हुए दोहराने की आवश्यकता है। मुझे आशा ही नहीं वरन् विश्वास है कि तुम अपने परिश्रम और लगन से सिद्ध कर दोगे कि परिश्रम से हर सफलता प्राप्त की जा सकती है।

अंत में मेरा एक सुझाव है कि तुम असफल होने जैसी बातें भूल कर नए उत्साह, उमंग, लगन एवं परिश्रम से पढ़ाई में जुट जाओ। सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी। अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना। पत्रोत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,

प्रीत सिंह

 \sf \fbox \pink{Hope it helps u mate! }

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