आपके विचार से क्या कांसे की ढलाई की तकनीक एक सतत प्रक्रिया है और इसका विकास आने वाले समय तक कैसे हुआ?
Answers
Explanation:
bhai jo phele bala banda na bola
oi i saach hai
हाँ जी कांसे की ढ़लाई की तकनीक एक सतत प्रक्रिया है|
भारतीय मूर्तिकारों ने कांसे की ढ़लाई की तकनीक सिंधु घाटी की सभ्यता से ही सिख ली थी इसकी पुष्टि मोहन जोदड़ो से प्राप्त हुई कांसे की मूर्ति से हो जाती है| उस समय भी कांसे की मूर्तियाँ बनाई जाती थी जो की आज भी बना जाती है|
विकास: कांसे की मूर्तियाँ बनाने की तकनीक का विकास भी समय के साथ-साथ हुआ |भारत के मूर्तिकारों ने पितनी कुशलता पकी मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने और पत्थर तराशने में प्राप्त की थी, उतनी मूर्तियाँ बनाने में प्राप्त की थी| उन्होंने सिंधु घाटी की सभ्यता से ही ढ़लाई के लिए लुप्त माँ की प्रक्रिया सिख ली थी इसी साथ ही उन्होंने तांबा, जस्ता और टिन जैसी धातुओं को मिलकर मिश्र धातु बनाने की प्रक्रिया की खोज की |
इसी मिश्र धातु को कांस्य कहते है| बौद्ध, जैन और हिन्दू देवी देवताओं को कांसे की प्रतिमाएँ भारत के अनेक क्षेत्रों में पाई गई है इन प्रतिमाओं का कल दूसरी शताब्दी से सोलहों शताब्दी तक का है | यह विकास आधुनिक समय तक चलाया जा रहा है|
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भारतीय कला का परिचय कक्षा -11
पाठ-7 भारतीय कांस्य प्रतिमाएं
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