Hindi, asked by tanisha853, 9 months ago

आपने कबीर के दोहे पढ़े। इन दोहों में से आपको कौन-सा दोहा आज के संदर्भ में सर्वाधिक
प्रासौगक लगा और क्यों?​

Answers

Answered by bhatiamona
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हमने कबीर दास जी के अनेक दोहे पड़े हैं, इनमें से जो दोहा मुझे आज के संदर्भ में भी प्रासंगिक लगा वो इस प्रकार है...

दोहा...

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।

जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा ना होय।।

अर्थ — कबीर दास जी कहते हैं, मैं तो दूसरों में ही बुराइयां देखता रहा। मैंने अपने अंदर की बुराई को नहीं देखा। जब मैंने अपने मन में झांका तो मैंने पाया कि मुझसे बुरा तो इस संसार में कोई है ही नहीं। मैं ही बुरा हूं इसी कारण लोग मुझे बुरे दिखते हैं। जब मैं अपना मन साफ कर लूंगा तो फिर मुझे कोई भी बुरा नहीं दिखेगा।

मुझे यह दोहा आज के संदर्भ में प्रासंगिक इसलिए लगा क्योंकि आज हम जिधर देखते हैं, लोग एक दूसरे की बुराई करते रहते हैं अपनी कमियों को छुपा कर दूसरों की निंदा में लगे रहते हैं। मेरी राय में ये दोहा आज के समय के संदर्भ में ही नही हर समय के संदर्भ में प्रासंगिक रहेगा।

Answered by mastermaths55
9

Answer:

Explanation:

◆ बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,

जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

अर्थ : जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला. जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है.

◆ पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,

ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।

अर्थ : बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके. कबीर मानते हैं कि यदि कोई प्रेम या प्यार के केवल ढाई अक्षर ही अच्छी तरह पढ़ ले, अर्थात प्यार का वास्तविक रूप पहचान ले तो वही सच्चा ज्ञानी होगा.

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