आपने देखा होगा, किसी सार्वजनिक स्थल पर जब दो शिक्षित युवक या युवतियाँ मिलते हैं, तब उनके संभाषण का प्रारंभ अंग्रेज़ी के माध्यम से होता है | तीन-चार वाक्य बोलने के उपरान्त धीरे-धीरे वे हिंदी या मातृ भाषा की ओर बढ़ते हैं और जब उन्मुक्त भाव से वार्तालाप करने में प्रवृत्त होते हैं, तब अँग्रेज़ी को एकदम भूल जाते हैं| उनके परिचय के प्रारंभिक क्षणों में अंग्रेज़ी मध्यस्थ बनी, लेकिन जब वे मिल जुल गए तो मध्यस्थ को दूर कर स्वभाषा से हार्दिक स्तर पर मिल सके| हमारे देश के शिक्षित युवक-युवतियों की यह भ्रांत धारणा बन गई है कि जब किसी से पहली बार परिचय हो, तो दो-चार जुमले अंग्रेज़ी में ज़रूर बोलो| बिना अंग्रेज़ी बोले जैसे दो भारतीय न तो परिचित हो सकते हैं और न अपने शिक्षित होने का प्रमाण दे सकते हैं| स्वतंत्रता से पूर्व अंग्रेज़ी भाषा कार्यालयों, विश्व-विद्यालयों तथा मंत्रालयों तक सीमित थी| घर, बाज़ार तथा सार्वजनिक स्थानों पर सभी व्यक्ति भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते थे क्योंकि उनका विश्वास था कि वे अपने देशवासियों से मिल रहें हैं, किसी विदेशी शासक से नहीं| आज अंग्रेज़ी का अधकचरा ज्ञान रखने वाले शिक्षार्थियों ने ऐसे दूषित प्रवृत्ति का प्रचार किया है कि जिसे देखो, वह अपने अंग्रेज़ी ज्ञान का प्रमाण दो-चार टूटे-फूटे वाक्य बोलकर देना चाहता है
प्रश्न . स्वतंत्रता पूर्व और स्वतंत्रता पश्चात के दृश्यों में परिवर्तन क्यों हुआ?
Answers
Answered by
0
Answer:
I know in photo slow internet
Similar questions