आपसी प्रेम और दुख के बारे में कवि के विचारों को अपने शब्दों में वर्णित कीजिए।
9th class
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- रहीम जी कहते हैं कि जो ये प्रेम रूपी धागा है वो बहुत ही कोमल होता है और जब ये एक बार टूट जाता है तो फिर ये जुड़ता नहीं है और जब अगर जुड़ भी जाएं तो इसमें गांठ पड़ जाता है यानी पहले जैसा प्रेम नहीं रहता।
- जैसे किसी पौधे की जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग अलग सींचने की जरूरत नहीं होती। ठीक वैसे ही एक को साधने से सभी साधते है। सबको साधने से सभी किए जाने की आशंका रहती है।
- जैसे मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए। वैसे ही यदि आपका प्रिय 100 बार भी रूठे तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए।
#SPJ1
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