Hindi, asked by aisveenanz, 5 months ago

आरौं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।
हँस समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दै हौं।
तेरी सौं, मेरी सुनि मैया, अबहिं वियाहन जै हौं।
सूरदास वै कुटिन बराती, गीत सुमंगल गै हौं।
what is the meaning of this paragraph?​

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Answered by azinabeevi27
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Answer:

राग केदारौ

मैया, मैं तौ चंद-खिलौना लैहौं।

जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥

सुरभी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं।

ह्वै हौं पूत नंद बाबा को , तेरौ सुत न कहैहौं॥

आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं।

हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं

तेरी सौ, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं॥

सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥

भावार्थ :-- (श्यामसुन्दर कह रहे हैं) `मैया! मैं तो यह चंद्रमा-खिलौना लूँगा (यदि तू इसे नहीं देगी तो ) अभी पृथ्वी पर लोट जाऊँगा, तेरी गोद में नहीं आऊँगा । न तो गैया का दूध पीऊँगा, न सिर में चुटिया गुँथवाऊँगा । मैं अपने नन्दबाबा का पुत्र बनूँगा, तेरा बेटा नहीं कहलाऊँगा ।' तब यशोदा हँसती हुई समझाती हैं और कहती हैं-`आगे आओ ! मेरी बात सुनो, यह बात तुम्हारे दाऊ भैया को मैं नहीं बताऊँगी । तुम्हें मैं नयी पत्नी दूँगी ।' (यह सुनकर श्याम कहने लगे-) ` तू मेरी मैया है, तेरी शपथ- सुन ! मैं इसी समय ब्याह करने जाऊँगा।' सूरदास जी कहते हैं--प्रभो! मैं आपका कुटिल बाराती (बारात में व्यंग करने वाला) बनूँगा और (आपके विवाह में) मंगल के सुन्दर गीत गाऊँगा।

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