आरोह अवरोह की परिभाषा
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आरोह
संगीत के नीचे के सुर से आरम्भ करके ऊपर के सुरों की ओर चढ़ते हुये जब आलाप लिया जाता है तो उसे आरोह कहते हैं। मुख्यतः आरोह शब्द संगीत से सम्बंधित है किन्तु उत्थान, विकास आदि का भाव दर्शाने के लिये इस शब्द का प्रयोग किया जाता है।
अवरोह
आरोह-अवरोह के शाब्दिक अर्थ के अनुसार स्वरों के चढ़ते क्रम को आरोह और इसके विपरीत स्वरों को उतरते क्रम को अवरोह कहते हैं। ... जैसे- आरोह – सा रे ग म प ध नि सां। अवरोह – सां नि ध प म ग रे सा ।
आरोह अवरोह की परिभाषा?
संगीत के क्षेत्र में आरोह और अवरोर का विशेष महत्व होता है।
आरोह : संगीत में आरोह से तात्पर्य स्वरों के नीचे से ऊपर की ओर आना होता है अर्थात स्वरों को नीचे से ऊपर की ओर ले जाना है, आरोही क्रम कहलाता है।
जैसे
सा, रे, गा, मा, पा, धा नि
अवरोह : अवरोह आरोह का विपरीत क्रम होता है। अवरोही क्रम में स्वर ऊपर से नीचे की ओर आते हैं।
नि, धा, पा, मा, गा, रे, सा
आरोह और अवरोह में का स्वरों को साधने में बेहद महत्व होता है और स्वरों को ऊपर से नीचे लाना तथा नीचे से ऊपर लाना अर्थात आरोह एवं अवरोह क्रम में गाने का अपना अलग विशेष महत्व है, जिससे स्वरों की तान साधी जाती है।
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