आराम करो कविता में खाट पर लेटे लेटे कबी किसकी रचना करते हैं
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क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो। ... इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो। ... मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे योगी जो होते हैं, ... भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है। ... मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ। ... संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
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