आरिपरी चट्टान पाठ में कन्याकुमारी
की यात्रा का वर्णन किया गया है।
इस पाठ के आधार पर यात्रा
वृत्तांत के प्रमुख तत्वों का उल्लेख्य
करें
।
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'आख़िरी चट्टान तक' बहुआयामी रचनाकार मोहन राकेश का यात्रावृत्तान्त है। दिसम्बर १९५२ से फ़रवरी १९५३ के बीच मोहन राकेश ने गोआ से कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी। कथाकार राकेश ने इस संचित सामग्री को मनुष्य, प्रकृति और विराट जीवन के विवेचन की तरह अपनाते हुए 'आख़िरी चट्टान तक' की रचना की है।
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