आर्य समाज का दसवां नियम सामाजिक व्यवस्था को दृढ़ कराने में कैसे सहायक है
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प्रत्येक व्यक्ति को सदा सत्य ग्रहण करने और असत्य को छोङने के लिए तैयार रहना चाहिये। सब कार्य धर्मानुसार अर्थात् सत्य और असत्य को विचार करके करना चाहिये। संसार का उपकार करना इस समाज का मुख्य उद्देश्य है, अर्थात् सबकी शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना।
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आर्य समाज का दसवाँ नियम सामजिक व्यवस्था को दृढ़ करने में ऐसे सहायक है कि किस अवस्था और क्षेत्र में मनुष्य को स्वतंत्रता से कार्य करना चाहिए और किस अवस्था तथा क्षेत्र में उसे काम करते समय अपनी इच्छा को एक और रखकर समाज के हित का ध्यान रखते हुए सामाजिक एवं राष्ट्रीय नियमों के अनुसार आचरण करना चाहिए। जैसे-हम किसी सर्वहितकारी कार्य के लिए धन का दान करना चाहते हैं तो आप अपनी इच्छा से कर सकते हैं परंतु देशद्रोहियों को सहायता देने के लिए आप स्वतंत्र नहीं है।
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