आशे , तुम्हारे की भरोसे जी रहे हम सभी ,सब कुछ गया री हाय री । तुमको न को छोड़ेंगे कभी। आशे, तुम्हारे ही सहारे टिक रही हे यह माही । धोखा न दिजो अंत में , बिनती हमारी हैं यही।। पधांश के कवि कोन है
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yorlufypfupflu
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