आशय स्पष्ट कीजिए -
"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने केमौके ढूँढ़ती है।"
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Answer:
देशभक्त नेताओं ने देश को आज़ादी दिलाने के लिए अपनी हर खुशी को त्याग दिया तथा अपना सर्वस्व देश के प्रति समर्पित कर दिया। आज हमारा देश उन्हीं के कारण आज़ाद हुआ है। परन्तु यदि किसी के मन में ऐसे देशभक्तों के लिए सम्मान की भावना नहीं है, वे उनकी देशभक्ति पर हँसते हैं तो यह बड़े ही दु:ख की बात है। ऐसे लोग सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हैं, इनके मन में स्वार्थ की भावना प्रबल है। लेखक ऐसे लोगों पर अपना क्षोभ व्यक्त करते हैं।
आशय स्पष्ट कीजिए -
"बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-ज़िंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने केमौके ढूँढ़ती है।"
व्याख्या :
'नेताजी का चश्मा' पाठ की इन पंक्तियों का आशय यह है कि इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है, क्योंकि जिन देशभक्त नेताओं और महान हस्तियों ने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया और जिनके कारण हमारा देश आजाद हुआ, आज ऐसे देशभक्तों के लिए हमारे मन में कोई सम्मान नहीं है।
साथ ही हम लोग उन पर भी हंसते हैं या उनकी मजाक उड़ाते हैं, जो लोग इन देशभक्तों का सम्मान करते हैं। कैप्टन चश्मेवाला जब नेताजी की मूर्ति के प्रति अपना सम्मान प्रकट करता और उनकी मूर्ति को चश्माविहीन नही रहने देता तो लोग कैप्टन का मजाक उड़ाते थे। यह एक दुख भरी बात है और बड़ी विडंबना का विषय है। ऐसे देश के लोगों का क्या होगा जो अपने ही देश के लिए सब कुछ न्योछावर करने वालों का न तो सम्मान करते है, और जो सम्मान करते हैं, उनका मजाक उड़ाते हैं। इसीलिए इन पंक्तियों के माध्यम से यही लेखक ने यही नाराजगी व्यक्त की है।
#SPJ3
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