Math, asked by ojasnimje4767, 9 months ago

आशय स्पष्ट कीजिए किंतु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं।

Answers

Answered by sonuvuce
4

पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं।

व्याख्या निम्नलिखित है:

किन्तु पथ के कंटकों को हम सुमन ही मानते हैं, इसका तात्पर्य है कि कवि के अनुसार पथिक को यह ज्ञात है कि उसका लक्ष्य बहुत दूर है और लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग भी अत्यधिक कठिन है परन्तु पथिक को केवल एक उसका लक्ष्य ही दिख रहा है उसे अन्य किसी बात की चिंता नहीं है| वह उस लक्ष्य को पाने के लिए निरंतर अग्रसर है और इस धुन में उसे मार्ग में आने वाली कठिनाइयाँ उसे कठिनाइयाँ नहीं लगतीं| वास्तव में ये कठिनाइयाँ भी उसके मनोबल को और बढाती हैं और उसे निरंतर लक्ष्य को पाने के लिए प्रेरित करती हैं| कंटक अर्थात् कांटे कठिनाइयों के द्योतक हैं और सुमन अर्थात् फूल सुगमता के, इसी कारण मार्ग में पड़े काँटों को पथिक कांटे न मानकर फूल मानता है|

आशा है यह उत्तर आपके लिए उपयोगी होगा|

और जानिए:

https://brainly.in/question/15452452

Answered by RatnakarYA
1

Answer:

मागडकी बािाओंको हम स्िीकार करकेचलतेहैं।

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