आशय स्पष्ट काजए-
19
मेमचंद का जीवन सदा काँटों रूपी विपरीत परिस्थितियों से घिरा रहा, परंतु वे गुलाब के समान अपनी
रचनाओं की सुगंध बिखेरते रहे।
नाकार अपनी रचनाओं के माध्यम से आने मागावी .
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..........✌️✌️✌️✌️✌️
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very bad this question is
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I don't know sorry I will tell you sometime
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