Hindi, asked by navya252, 1 year ago

आत्मचिंतन का जीवन मे महत्तव

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Answered by Mehvishsheikh
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मानव को अपने जीवन में हमेशा चिंतन, क्षमता का उपयोग करना चाहिए। मानव और पशु का जन्म अनादिकाल से हो रहा है। मानव और पशु पंच इंद्रीय जीव होने के बाद चिंतन क्षमता के कारण अलग-अलग है। मानव अपने इस गुण का उपयोग आत्म कल्याण के लिए करें।

यह बात संजय गांधी उद्यान में आयोजित धर्मसभा में आचार्य विश्वर|सागर महाराज ने कही। उन्होंने बताया कि पशु हमेशा अपना पेट भरने की चिंता करता है। मानव पेट के साथ आत्म कल्याण की चिंता भी कर सकता है। मानव में अच्छा और बुरा समझने की क्षमता है। इसलिए मानव कभी पशु की तरह पेट भरने की चिंता में अपना जीवन बर्बाद न करें। स्वयं के आत्म कल्याण की चिंता करें। भगवान महावीर ने भी संदेश दिया है कि मानव तू महान है। मनुष्य अपने जीवन का महत्व समझे। विषम परिस्थितियों में आत्म कल्याण का चिंतन करते रहना चाहिए। मानव का फिर से यही जीवन मिले यह तय नहीं है। पाप कर्म किसी अन्य गति में भेज सकते है। धर्मसभा में तिथि के अनुसार आचार्य नवर|सागर महाराज की मासिक पुण्यतिथि मनी। सामूहिक आयंबिल पूजन किया गया। आयंबिल का लाभ मुंबई से आए गांधी परिवार ने लिया। आराधना भवन श्रीसंघ के अध्यक्ष महेंद्र चौरडिया, सचिव दिलीप रांका, अनिल धींग ने नवर|सागर महाराज के जीवनवृत की जानकारी दी। संचालन पंकज खटोड ने किया। आभार वरुण किर्लोस्कर ने माना।

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navya252: tysm
Mehvishsheikh: yaar kitna hard hota hai hindi mai type karna
Mehvishsheikh: yaar kitna hard hota hai hindi mai type karna
navya252: it's all right... if u tried to type in English with Hindi language I would understand it... by the way... tysm.. n sorry
Mehvishsheikh: its okk
navya252: :)
Mehvishsheikh: and please mark my answer as brainlist
navya252: OK..
Mehvishsheikh: thanks
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