आत्मन : प्रतिकूलानि परेशां न समाचरेत् का अर्थ लिखें | subject धर्म शिक्षा
Answers
Answered by
0
Answer:
अर्थात् ‘धर्म का सर्वस्व जिसमें समाया है, ऐसे धर्म का सार सुनिए और सुनकर हृदय में उतारिए कि अपनी आत्मा को जो दुःखदायी लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ मत करिए । ' अपमान, तिरस्कार, मारपीट, गाली क्या आपकी आत्मा को अच्छी लगेगी? कोई बलवान मनुष्य यदि आपको सताए, आपका गला दबाए तो उससे आपको दुःख होगा या हर्ष? दुःख ही होगा। अतः मन में यह पक्का करना है कि ‘जितनी वस्तु मुझे दुःख रूप लगे, उनका मैं दूसरों के प्रति आचरण न करूं।' इतना यदि प्रत्येक व्यक्ति सीख जाए तो संसार में कोई झगडा ही न रहे। यही उत्तम कोटि का धर्म है।
Explanation:
i hope you help
Similar questions
Math,
18 days ago
Accountancy,
18 days ago
Math,
1 month ago
Business Studies,
8 months ago
CBSE BOARD X,
8 months ago