आत्मनिर्भर भारत :- राष्ट्रीय विकास मे छात्रों की भूमिका l निबंध 500 शब्दो मे लिखिए l
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आत्म निर्भर भारत , राष्ट्रीय विकास में छात्रों की भूमिका
किसी भी राष्ट्र की प्रगति के लिए वहां के नागरिकों को शिक्षित होना अति आवश्यक है। जब हम अपने बच्चों को शिक्षित करते हैं तो हम राष्ट्र के निर्माण में अपनी भागीदारी निभाते हैं क्योंकि यही बच्चे आगे चलकर देश को एक सही दिशा और दशा दे सकते हैं। अगर हम अपने देश के बच्चों को अशिक्षित रखेंगे तो , हमारा देश कभी भी तरक्की नहीं कर सकता है।
विद्यार्थी का कर्तव्य है कि वह अपनी शिक्षा का उपयोग अपने समाज , अपने देश की तरक्की के सर्वांगीण विकास के लिए करें।
छात्रों के अंदर असीमित प्रतिभा और ऊर्जा होती है। इसीलिए वो समाज में व्याप्त अनेक बुराइयां जैसे भ्रष्टाचार , सामाजिक असमानता , अनुशासनहीनता , लिंग भेद , अन्याय , दमन-शोषण , दहेज प्रथा , कन्या भूण हत्या , उग्रवाद , आतंकवाद आदि के खिलाफ एक मजबूत अभियान छेड़ कर , उसे समूल जड़ से नष्ट कर सकते हैं।
छात्र आंदोलनों के आगे तो बड़ी-बड़ी राजनीतिक शक्तियां भी झुकने को मजबूर हो जाती है।अपने विचारों व ऊर्जा से वो राष्ट्र निर्माण में आने वाली हर बाधा को दूर कर , विकास के पहिए को तेजी से घुमा सकते है।
छात्र सरकार द्वारा चलाए जाने वाले राष्ट्रीय स्तर के अभियानों को बड़ी तेजी व सफलतापूर्वक चला सकते हैं। लोगों के अंदर इन अभियानों के प्रति जागरूकता पैदा कर सकते हैं। कोई भी अभियान छात्रों के माध्यम से सफलता पूर्वक चलाया जा सकता हैं।
अगर छात्रों को पहले से प्रशिक्षण दिया जाए तो , वह किसी भी राष्ट्रीय आपदा के वक्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।जरूरत है तो उनकी क्षमताओं का सही उपयोग करना , उनका सही मार्गदर्शन करना।
विद्यार्थियों का नकारात्मक पहलू
वैसे तो विद्यार्थी वर्ग हर देश के राष्ट्रीय विकास में मजबूत आधार स्तंभ की भूमिका निभाते हैं। लेकिन यही समय होता है जब विद्यार्थी को सही मार्गदर्शन ना मिले तो , उनमें भटकाव की स्थिति भी आ जाती हैं। और वो अपनी क्षमताओं और ऊर्जा का गलत कामों में इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। और कुछ राजनीतिक दल या स्वार्थी लोग इनकी क्षमताओं का भरपूर फायदा उठाते हैं। ये राष्ट्र विरोधी गतिविधियों जैसे आतंकवाद , उग्रवाद का दामन थाम लेते हैं।
हाल के कुछ वर्षों में इस तरह की घटनाएं देखने को मिली। जहां छात्र-छात्राओं द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति को बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचाया गया , स्कूल कॉलेजों में तोड़फोड़ या पत्थरबाजी जैसे घृणित कामों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिकाएं देखी गई।
जिससे राष्ट्रीय संपदा को तो नुकसान पहुंचता ही है , साथ में देश की छवि भी खराब होती है। और सबसे बड़ी बात हमारा राष्ट्रीय विकास का सपना भी चूर-चूर होने लगता है। ऐसे समय में विद्यार्थियों को इन स्वार्थी व बरगलाने वाले लोगों से बचाना आवश्यक हैं।
उपसंहार
विद्यार्थी जीवन में ही व्यक्ति के अंदर अच्छे संस्कारों व आदर्श मूल्यों को स्थापित करना आवश्यक है। क्योंकि अपने देश के सम्मान व गौरव के लिए अपनी जान कुर्बान करने का जज्बा इनके दिलों में पलता हैं और देश का सर्वांगीण राष्ट्रीय विकास कर भारत को एक आत्मनिर्भर भारत बनाने का सपना इन्हीं के दिमाग से होकर गुजरता है।
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