आत्निभमरता पर निबंध
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प्रस्तावना- स्वावलम्बन अथवा आत्मनिर्भरता दोनों का ही अर्थ है- हमें अपने सहारे रहने अर्थात् स्वयं पर निर्भर रहना। ये दोनों ही शब्द हमें स्वयं परिश्रम करने, सभी प्रकार के दुःख एवं कष्टों को सहकर भी अपने पैरों पर खड़े रहने की शिक्षा और प्रेरणा देते हैं। यह हमारी जीत की प्रथम सीढ़ी है।
मनुष्य को जीवन में दूसरों पर भरोसा न कर आत्म निर्भर और आत्म विश्वासी होना चाहिए । दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता ही उसके जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके उद्देश्य का मूल-तंत्र होना चाहिए । असंयत स्वभाव तथा मनुष्य का परिस्थितियों से घिरा होना, पूर्णरूपेण आत्मविश्वास के मार्ग को अवरूद्ध सा करता है ।
वह समाज में रहता है जहां पारस्परिक सहायता और सहयोग का प्रचलन है । वह एक हाथ से देता तथा दूसरे हाथ से लेता है । यह कथन एक सीमा तक उचित प्रतीत होता है । ऐसा गलत प्रमाणित तब होता है जब बदले में दिया कुछ नही जाता सिर्फ लिया भर जाता है और जब अधिकारों का उपभोग विश्व में बिना कृतज्ञता का निर्वाह किए, भिक्षावृत्ति तथा चोरी और लूट-खसोट में हो, लेकिन विनिमय न हो ।