Music, asked by abhilashajhaaaaa, 4 months ago

'आतम-छोड़ि पषानै पूर्जें' पंक्ति से क्या अभिप्राय है?​

Answers

Answered by ramniwas35145
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Answer:

आत्मा को छोड़ कर सिर्फ पाषाण की पूजा करते हैं, कैसा थोथा ज्ञान है इनका। इनको मनुष्य में मौजूद आत्मा नहीं दिखती, इनको किसी प्राणी में प्राण नहीं दिखते। शिव के लिंग पर हर सोमवार दूध चढ़ाएंगे, और कोई भिक्षा मांगने इनके द्वार पर आ जाए तो दुत्कारेंगे, "तिनका थोथा ज्ञाना"।

Explanation:

Answered by vijendra880058
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आत्म छोड़ी पसने पुजे से कवि का अभिप्राय मूर्ति पूजा का विरोद्द करना है, उनका मानना है कि मनुष्य अपनी आत्मा में परमात्मा को बसा कर मूर्ति पूजा मे लगा रहता है ।

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