aatankwad ki samasya par nibandh in hindi
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आतंकवादी कहे जाने वाले प्रशिक्षित लोगों के समूह के द्वारा अन्यायपूर्ण और हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देने की प्रक्रिया को आतंकवाद कहते हैं। वहाँ केवल एक मालिक होता है जो समूह को किसी भी खास कार्य को किसी भी तरीके से करने का सख्त आदेश देता है। अपने अन्यायी विचारों की पूर्ति के लिये उन्हें पैसा, ताकत और प्रचार की जरुरत होती है। ऐसी परिस्थिति में, ये मीडिया होती है जो किसी भी राष्ट्र के समाज में आतंकवाद के बारे में खबर फैलाने में वास्तव में मदद करती है। अपनी योजना, विचार और लक्ष्य के बारे में लोगों तक पहुँच बनाने के लिये आतंकवाद भी मीडिया का सहारा लेता है।
अपने उद्देश्य और लक्ष्य के अनुसार विभिन्न आतंकी समूह का नाम पड़ता है। आतंकवाद की क्रिया मानव जाति को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है और लोगों को इतना डरा देती है कि लोग अपने घरों से बाहर निकलने में डरते हैं। वो सोचते हैं कि आतंक हर जगह है जैसे घर के बाहर रेलवे स्टेशन, मंदिर, सामाजिक कार्यक्रमों, राष्ट्रीय कार्यक्रमों आदि में जाने से घबराते हैं। लोगों के दिमाग पर राज करने के साथ ही अपने कुकृत्यों कों प्रचारित और प्रसारित करने के लिये अधिक जनसंख्या के खास क्षेत्रों के तहत आतंकवादी अपने आतंक को फैलाना चाहते हैं। आतंकवाद के कुछ हालिया उदाहरण अमेरिका का 9/11 और भारत का 26/11 हमला है। इसने इंसानों के साथ ही बड़े पैमाने पर देश की अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुँचायी है।
राष्ट्र से आतंकवाद और आतंक के प्रभाव को खत्म करने के लिये, सरकार के आदेश पर कड़ी सुरक्षा का प्रबंध किया गया है। वो सभी जगह जो किसी भी वजह से भीड़-भाड़ वाली जगह होती या बन जाती है जैसे सामाजिक कार्यक्रम, राष्ट्रीय कार्यक्रम जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, मंदिर आदि को मजबूत सुरक्षा घेरे में रखा जाता है। सभी को सुरक्षा नियमों का पालन करता पड़ता है और ऑटोमैटिक बॉडी स्कैनर मशीन से गुजरना पड़ता है। इस तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करने के द्वारा सुरक्षा कर्मियों को आतंकवादी की मौजूदगी का पता लगाने में मदद मिलती है। इस तरह की कड़ी सुरक्षा प्रबंधन के बाद भी हम लोग अभी-भी आतंकवाद का खिलाफ प्रभावशाली रुप से नहीं खड़े हो पा रहें हैं।
आतंकी समूह को खत्म करने के साथ ही आतंक के खिलाफ लड़ने के लिये हर साल हमारा देश ढ़ेर सारे पैसे खर्च करता है। हालाँकि, ये अभी-भी एक बीमारी की तरह बढ़ रही है क्योंकि रोजाना नये आतंकवादी तैयार हो रहें हैं। वो हमारी तरह ही बहुत सामान्य लोग हैं लेकिन उन्हें अन्याय करने के लिये तैयार किया जाता है और अपने एक समाज, परिवार और देश के खिलाफ लड़ने के लिये दबाव बनाया जाता है। वो इस तरह से प्रशिक्षित होते हैं कि उन्हें अपने जीवन से भी प्यार नहीं होता, वो लड़ते समय हमेशा अपना कुर्बान होने के लिये तैयार रहते हैं। एक भारतीय नागरिक के रुप में, आतंकवाद को रोकने के लिये हम सभी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और ये तभी रुकेगा जब हम कुछ बुरे और परेशान लोगों की लालच भरी बातों में कभी नहीं आयेंगे।
पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है| 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुआ आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है| वैसे तो आज लगभग पूरा विश्व ही आतंकवाद की चपेट में है किंतु भारत दुनियाभर में आतंकवाद से सार्वधिक त्रस्त देशों में से एक है| इसका प्रमुख कारण भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान है| भारत और पाकिस्तान में आरंभ से ही जम्मू कश्मीर राज्य विवाद का मुद्दा रहा और दोनों ही देश इस पर अपना अधिकार करना चाहते हैं| पाकिस्तान कश्मीर को हथियाने के लिए अब तक 3 बड़े युद्ध कर चुका है और आए दिन सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन करता रहता है, लेकिन अभी तक उसके हाथ असफलता ही लगी है इसलिए उसने भारत को आंतरिक रुप से नुकसान पहुंचाने के लिए आतंकवाद का सहारा लेना शुरू कर दिया है|
जम्मू कश्मीर में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए भारत सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे और पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकते हुए इस राज्य पर अपनी प्रशासनिक पकड़ मजबूत करनी होगी तथा आवश्यकता पड़ने पर पाकिस्तानी से द्विपक्षीय वार्ता के अतिरिक्त उसे प्रति कठोर कदम उठाने के लिए भी तैयार रहना होगा| इसका नतीजा यह निकला है कि यदा-कदा भारत आतंकी हमलों का निशाना बनता रहता है| 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट, 13 दिसंबर 2001 को संसद भवन पर हुआ हमला, 7 मार्च 2006 को हुआ वाराणसी बम धमाका, 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद में हुआ बम विस्फोटक, 26 नवंबर 2008 को मुंबई के ताज होटल पर हमला आदि कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो भारत को आतंकवाद पीड़ित देश घोषित करती है| इन बड़ी घटनाओं के अतिरिक्त आतंकवादी भारत में अनेक छोटी मोटी घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं|