aatankwadi ke upar Kavita
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अब तो सब ऊठो जागो
और आवाज़ लगा दो
आतंकवादी को नहीं
आतंकवाद को जड़ से मिटा दो।
न फैले ऐसा आतंक
जो हमारी रूह तक कँपा दे
मिलकर करो कुछ ऐसा
वो अपने हाथ अपनी जान गँवा दे।
ये न किसी धर्म,न किसी जाति
न किसी एक पक्ष की लड़ाई है।
क्या होंगे वो किसी के सगे
जो पैदा होते ही बने कसाई हैं।
आज फ्रांस तो कल कोई और देश होगा
काले नकाब मे एक नया भेष होगा
अहिंसा से न हो सके तो हिंसा की अलख जगा दो
आज सब मिलकर आतंकवाद को जड़ से मिटा दो।।
PLEASE MARK MY POEM AS BRAINLIEST....
gaurav9270:
nice
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