आदिकालीन वीर रसात्मक काव्य की विशेषताएं
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वीर रस प्राधान्य
युद्धों का सजीव वर्णन
आदिकाल का समय १०५० से लेकर १३७५ के बीच के समय को माना जाता है। जिसे आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने वीरगाथा काल कहा है।
Explanation:
आदिकाल का समय १०५० से लेकर १३७५ के बीच के समय को माना गया, जिसे आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने वीरगाथा कहा क्योंकि इस काल में लिखे गये अधिकतर ग्रंथ वीर रस से प्रधान थी।
आदिकालीन वीर रसात्मक काव्य की विशेषताएं
1- आदिकाल के काव्य में राष्ट्रीयता का आभाव था।
2- इस काल के काव्य में संस्कृत, प्रकृति और अपभ्रंश में गद्य-पद्य दोनों रूपों में काव्य रचना की प्रधानता थी।
3- मुख्यत: डिंगल और पिंगल मिश्रित राजस्थानी भाषा का प्रयोग मिलता है।
4-उपमा. रूपक, उत्प्रेक्षा, यमक आदि सभी प्रकार के अलंकारों का प्रयोग मिलता है।
5-अतिश्योक्ति अलंकार की प्रधानता आपको वीर रस के काव्य में देखने को मिल सकती है।
6- वीर रस के साथ-साथ इन काव्यों में श्रृंगार रस का भी प्रयोग खूब देखने को मिलता है।