Hindi, asked by adididi1907, 18 days ago

आदिम अवस्था
में
मनुष्य किस प्रकार
शुजर बसर करता था? इस पर
अपने
विचार स्पष्ट कीजिए /​

Answers

Answered by vasushah125374
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Answer:

मनुष्य के बाल रूप को भगवान की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि इस रूप में उसका चेतन व अवचेतन मन उस पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाते हैं और इस समय उसके अंदर केवल पवित्र आत्मा का प्रकाश प्रकाशित होता है। धीरे-धीरे जब वही बालक बड़ा होने लगता है तो उसके मस्तिष्क का विकास होने के कारण बुद्धि विकसित होने लगती है और इसके द्वारा संसार के दुर्गुण आने लगते हैं। आत्मा का प्रभाव गौण हो जाता है और वही बालक चेतन व अवचेतन मन के द्वारा अपने संबंध व क्रियाकलापों को करने लगता है। चेतन मन के द्वारा वह जागृत अवस्था में संचालित होता है और अवचेतन मन के द्वारा उसकी आदतें व विभिन्न परिस्थितियों में उसके द्वारा लिए गए निर्णय भी इसी अवचेतन मन के द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। हर मनुष्य संसार में चार अवस्थाओं के द्वारा अपना जीवन व्यतीत करता है। ये हैं जागृत, स्वप्न, सुसुप्ति व तुरीय। हमारे सब कष्टों का सूत्रधार केवल जागृत अवस्था है। उसी के अनुभव व प्रभावों के द्वारा ही हमारा मन चलायमान रहता है। जब हमें किसी बीमारी के कारण का पता चल गया तो उसका निदान आसान हो जाता है।

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