आदेश नागरिक चरित्र निर्माण peom
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Explanation:
तुम राहों के कोमल फूल बनो। लेकिन नहीं चुभता सा शूल बनो।। भगवत् गीता सा उपदेश बनो। लेकिन सबसे अलग विशेष बनो।।
तुम गज़लों की रुबाई बनो। तुलसी जी रचित चौपाई बनो।। भक्ति में तुम मीराबाई बनो। प्रेम में तुम राँझे की हीर बनो।।
पानी से जो निर्मल नीर बनो। बन सको तो फूलों का हार बनो।। पुष्पों से सुशोभित गलमाल बनी। मत गोरा सही तुम काले बनो।।
पर दिलों को जीतने वाले बनो। बनना है सीता सी नार बनो।। पत्थर सम न किसी पर भार बनो। कर सको गर किसी का भला करो।
लेकिन ओरों से मत जला करो। दीपक सा तुम भी जलना सीखो।। काँटों भरी राह चलना सीखो। जब तलक भी तुम रहोगे जिन्दा ।।
नहीं करें कभी किसी की निन्दा कोयल सी मीठी वाणी बोलो।। प्यासा दिखे कहो पानी पी लो। तुम पुणीत कार्य विजेता बनो।।
भलाई करे ऐसे नेता बनो। नन्हें बच्चे की मुस्कान बनो।। जन-गण-मन के तुम गान बनो। तुम्ही भारत का अभिमान बनी।।
दुश्मन को जंगे- ऐलान बनो। तुम वीर बनो और महान बनो।। सृष्टि का भी तुम्ही निर्माण बनो। सबसे सुंदर सकल जहान् बनो।।
तुम गीता बाईबल कुरान बनो। चारों वेदों के तुम पुराण बनो।। भूल से भी न तुम दानव बनों । इक सच्चे तुम मानव बनों ।।