History, asked by pikup8648, 10 months ago

आदिवासियों पर अँगरेजी संपर्क का क्या प्रभाव पड़ा ?

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Answered by KarunaAnand
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* आदिवासियों पर अंग्रेजी संपर्क का प्रभाव *

इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे आदिवासी नेता और लोकनायक थे l

जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया l

काले कानून को चुनौती देकर बर्बर ब्रिटिश साम्राज्य को चुनौती ही नहीं बल्कि उसे सांसत में डाल दिया l उन्होंने आदिवासी लोगों को अपने मूल पारंपारिक आदिवासी धार्मिक व्यवस्था संस्कृति एवं परंपरा को जीवंत रखने की प्रेरणा दी l

आज आदिवासी समाज का जो अस्तित्व एवं अस्मिता बची हुई है l तो उनमें उनका ही योगदान है l बिरसा मुंडा सही मायने में पराक्रम और सामाजिक जागरण के धरातल एवं तत्कालीन युग के एकलव्य और स्वामी विवेकानंद थे l

झारखंड के आदिवासी दंपत्ति सुगना और कर्मी के घर 15 नवंबर अट्ठारह सौ पचहत्तर को रांची जिले के होली हेतु गांव में जन्मे बिरसा मुंडा ने साहस और पराक्रम की स्थाई से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर सर का इतिहास रचा l

झारखंड के आदिवासी दंपत्ति सुगना और कर्मी के घर 15 नवंबर अट्ठारह सौ पचहत्तर को रांची जिले के होली हेतु गांव में जन्मे बिरसा मुंडा ने साहस और पराक्रम की स्थाई से पुरुषार्थ के पृष्ठों पर सर का इतिहास रचा l

उन्होंने हिंदू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया l तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज मिशनरियों से तो भ्रमित है ही हिंदू धर्म को भी ठीक से ना तो समझ पा रहा है l ना ग्रहण कर पा रहा है l

उन्होंने हिंदू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया l तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज मिशनरियों से तो भ्रमित है ही हिंदू धर्म को भी ठीक से ना तो समझ पा रहा है l ना ग्रहण कर पा रहा है l

उन्होंने हिंदू धर्म और ईसाई धर्म का बारीकी से अध्ययन किया l तथा इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि आदिवासी समाज मिशनरियों से तो भ्रमित है ही हिंदू धर्म को भी ठीक से ना तो समझ पा रहा है l ना ग्रहण कर पा रहा है l मुंडा रीति-रिवाज के अनुसार उसका नाम बृहस्पतिवार के हिसाब से विरसा रखा गया था l उसका परिवार ही रोजगार की तलाश में उसके जन्म के बाद उल्लितु के कुरूमब्दा आकर बस गया l

जहां वह खेतों में काम करके अपना जीवन चलाते थे l उसके पिता चाचा ताऊ सभी ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था l बिरसा के पिता सुगना मुंडा जर्मन धर्म प्रचारकों के सहयोगी थे l

वीरता का बचपन अपने घर में ननिहाल में और मौसी की ससुराल में भेड़ बकरियों को चराते हुए l बीता जंगल में भेड़ चलाते वक्त समय व्यतीत करने के लिए बांसुरी बजाया करते थे l

और लगातार बांसुरी बजाने से व्यस्त हो गए थे l उन्होंने कद्दू से एक-एक तारवाला वादक यंत्र किला बनाया था l जिसे भी वह बजाया करते थे l

उनके जीवन के कुछ रोमांचक पल खारा गांव में बीते थे l बाद में उन्होंने कुछ दिन तक चाईबासा के जर्मन मिशन स्कूल में शिक्षा ग्रहण की परंतु स्कूलों की उनकी आदिवासी संस्कृति का जो उपहास किया जाता था l वाह बिरसा को सहन नहीं हुआ l

उनके जीवन के कुछ रोमांचक पल खारा गांव में बीते थे l बाद में उन्होंने कुछ दिन तक चाईबासा के जर्मन मिशन स्कूल में शिक्षा ग्रहण की परंतु स्कूलों की उनकी आदिवासी संस्कृति का जो उपहास किया जाता था l वाह बिरसा को सहन नहीं हुआ l इस पर उन्होंने भी पादरियों का और उनके धर्म का भी मजाक उड़ाना शुरू कर दिया l फिर क्या था ईसाई धर्म प्रचारकों में उन्हें स्कूल से निकाल दिया lll

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