Hindi, asked by Sadhurya, 6 hours ago

आदमी कब निर्लज और बेशर्म हो जाता है?​

Answers

Answered by ntsdsonodevi
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Answered by bhatiamona
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आदमी तब निर्लज्ज और बेशर्म हो जाता है, जब उसकी आँखों का पानी उतर जाता है।

व्याख्या :

पानी से तात्पर्य यहाँ पर शर्म से है। जब आदमी अपनी प्रतिष्ठा खो देता है, उसके अंदर की शर्मोहया मिट जाती है, तब वह निर्लज्ज एवं बेशर्म हो जाता है।

रहीम दास कहते हैं पानी खरे को खोटा और खोटे को खरा बना देता है। पीतल या चाँदी के जेवर पर यदि सोने का पानी चढ़ा दिया जाए तो वह उसकी रोनक बदल जाती है। लेकिन पानी उतर जाने पर उसका कोई मोल नहीं रहता।

उसी तरह व्यक्ति का आचरण है, जब तक उसके आचरण ठीक है, समाज में उसकी प्रतिष्ठा है, जैसे ही उसका आचरण खराब होती है, उसकी प्रतिष्ठा भी चली जाती है।

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